लघु कथा असुविधा के लिए खेद है

  • Nov 04, 2022

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हास्य व्यंग

आज चीनू कुछ उलझन में थी, उसे टीवी देखने का बहुत शौक था एक दिन टीवी नहीं देखती थी तो , उसका दिन समझो की, बेकार ही हो जाता था।
                   इसे आप टीवी देखने की तलब कह सकते हैं, क्योंकि चीनू अपने पसंदीदा, सीरियल " असुविधा के लिए खेद है " को बहुत पसंद करती थी ।
इस सीरियल के अंतर्गत तरह-तरह के हास्य कॉमेडी के रूप में छोटे-छोटे अंश प्रस्तुत होते थे , वह उन्हें देखकर अपना समय प्रसन्नता से बिताया करती थी। एक दिन भी यदि वह यह सीरियल नहीं देखती तो उसे लगता था कि जैसे कुछ जीवन में सुना सुना है इस सीरियल को देखना जैसे उसके दिनचर्या का , हिस्सा बन चुका था ।
तभी चीनू की मां की जोर से आवाज आती है , अरे आज भी तेरा सीरियल आया है कि नहीं ! रसोई पड़ी हुई है यदि नहीं आया हो तो यहां आकर जरा रसोई समेट लो।
                क्योंकि आज उसका सीरियल आ नहीं रहा था, और हंसी की बात तो यह है कि, वह चैनल तकनीकी कारण से ब्लॉक हो गया था और टीवी पर स्पष्ट साफ शब्दों में लिखा हुआ था। 
((((((((((((((" असुविधा के लिए खेद है" ))))))))))))
               चीनू का तो वैसे भी आज मन खराब था, क्योंकि उसका पसंदीदा सीरियल नहीं आ रहा था उसने यह लाइन अपनी मम्मी को रिपीट कर दी (काम के लिए पुकारे जाने पर)। 
मां असुविधा के लिए खेद है। चीनू ने तो मजाक मजाक में अपनी मां को यह कह दिया पर, मां को लगा कि चीनू जवाब दे रही है , और मां ने चीनू को गुस्सा करते हुए टीवी बंद कर दी और जोर से कहा " रिमोट को पटकते हुए" ..... आज के इस दिन में , "असुविधा के लिए खेद है" ।


        मध्य प्रदेश, ग्वालियर

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक)

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Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक