पंचांग की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका की पूजन की मान्यता है। इस बार 6 मार्च को सोमवार के दिन मघा नक्षत्र व सुकर्मा योग तथा बव करण एवं सिंह राशि के चंद्रमा की साक्षी में होलिका के पूजन का मुहूर्त रहेगा। विशेष यह है कि होली के दिन प्रदोष काल में पूजन के समय वृश्चिकी भद्रा रहेगी। ज्योतिषियों के अनुसार प्रदोष काल में होलिका की पूजन में भद्रा का दोष मान्य नहीं है। इसलिए शास्त्रोक्त मान्यता अनुसार होलिका का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को लेकर के अलग-अलग मत हैं। इसमें विशेष तौर पर दो प्रकार की भद्रा मानी जाती है। जिनमें शुक्ल पक्ष में आने वाली भद्रा को वृश्चिकी की संज्ञा दी गई है।
वहीं कृष्ण पक्ष की भद्रा को सर्पिणी कहा जाता है। इसी तरह मतांतर से दिन की भद्रा सर्पिणी तथा रात्रि की भद्रा वृश्चिकी मानी गई है। इस दृष्टिकोण से सर्प के मुख में विष रहता है अतः सर्पिणी भद्रा का मुख छोड़ देना चाहिए। इसी प्रकार वृश्चिकी बिच्छु की पूंछ में विष रहता है इसलिए वृश्चिकी भद्रा की शुरुआत अर्थात शाम के समय पूजन किया जा सकता है। वैसे भी शास्त्रीय मान्यता तथा अन्य मत के अनुसार जब कोई विशेष अनुक्रम प्रदोष काल से ही संबद्ध हो तो उस समय उसको ग्राह्य कर लेना चाहिए। इस दृष्टि से प्रदोष काल में होलिका पूजन का कोई दोष नहीं है।