खगोलीय पिंडों को देखने के लिए उमड़ा जनसैलाब

  • Mar 01, 2023
  • Lekhraj Chakradhari Gariyaband

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संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट


गरियाबंद :- शासकीय राजीव लोचन स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजिम में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर प्रसिद्ध और लोकप्रिय खगोल भौतिकशास्त्री डॉ. एन.के. चक्रधारी द्वारा अमेजिंग स्काई विषय पर व्याख्यान के साथ-साथ सायंकालीन खगोलीय पिंडों को आमजनों, विद्यार्थियों और शोधार्थी को टेलीस्कोप से दिखाने की व्यवस्था की गई थी। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्वलित कर की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्था प्रमुख डॉ. सी.एल. देवांगन ने बताया कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी डॉ. सी. वी. रमन के जन्म दिवस पर 24 फरवरी से 28 फरवरी तक राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन महाविद्यालय के भौतिक शास्त्र परिषद द्वारा बड़े उत्साह जनक रूप से मनाया जा रहा है। यह अत्यंत हर्ष का विषय है। डॉ. सी. वी. रमन नोबेल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. एम. एल. वर्मा और डॉ. समीक्षा चंद्राकर ने कहा कि विज्ञान और तकनीकी का उपयोग करना डॉ. रमन से अच्छा कोई नहीं जानता था। वैज्ञानिक सोच व अवधारणा का निर्माण करना कठिन कार्य है। इसके लिए आत्मा विश्वास और दृढ़ संकल्पना की आवश्यकता होती है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गोवर्धन यदु ने बताया कि छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद रायपुर और भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद नई दिल्ली, विज्ञान और तकनीकी विभाग भारत सरकार द्वारा प्रायोजित चार दिनों तक चले विज्ञान दिवस कार्यक्रम में विभिन्न अंतर महाविद्यालयीन/ विद्यालयीन प्रतियोगिता जैसे निबंध, प्रश्न मंच, रंगोली, पोस्टर और भाषण आयोजित हुई, जिसमें महाविद्यालयीन छात्र छात्रों के अलावा स्कूली छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।


डॉ. यदु ने डॉ. रमन के प्रकाश के प्रकीर्णन को विस्तार से समझाते हुए कहा कि प्रकाश आज भी रहस्यमय विकिरण के रूप में हमारे समक्ष रहा है। इसमें और भी खोजें होनी बाकी है। 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता व विशेष अतिथि डॉ. एन. के. चक्रधारी ने चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों को दर्शाते हुए उसमें होने वाले गतिविधियों के बारे में बताया और राजिम के अक्षांश देशांतर के परिपेक्ष में आकाश में दिखने वाले विभिन्न ग्रहों की दिशाओं को जानने की विधि से सभी को अवगत कराया। खगोलीय पिंडों के अंतर्गत सूर्य, चंद्रमा, सप्तऋषि, कालपुरुष, तारामंडल के माध्यम से ही समय और मौसम का अनुमान प्राचीन काल में लगाया जाता था। पृथ्वी के अपने अक्ष से झुकाव के कारण ही सूर्य का उत्तरायण दक्षिणायन, दिन-रात का छोटा बड़ा होना तथा मौसम में परिवर्तन दिखाई देता है। डॉ. चक्रधारी ने बताया कि अंटार्टिका में छह महीने का दिन तथा छह महीने की रात होती है मौसम में बदलाव सूर्य से पृथ्वी की दूरी पर नहीं बल्कि पृथ्वी से झुकाव के कारण होता है जब उत्तरी गोलार्ध में गर्मी का समय होता है तो दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी का समय होता है। ध्रुव तारा के बारे में विस्तार से बताया, मौसम परिवर्तन के कारणों को दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि पृथ्वी के आसपास बारह तारामंडल है इन्हीं तारामंडल के कारण बारह राशि हमारे कैलेंडर में होती है।

डॉ. एन. के. चक्रधारी ने टेलिस्कोप से संबंधित जानकारी साझा करते हुए सभी विद्यार्थियों को टेलिस्कोप संधारित्र करने के उपाय व सुझाव बताएं। सायंकालीन समय में महाविद्यालय परिसर से विभिन्न ग्रहों उपग्रहों को देखने व इससे संबंधित जानकारी की व्यवस्था की गई थी। चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र, मंगल और कालपुरुष तारामंडल को देखने के लिए राजिम क्षेत्र के कई जिज्ञासु जनमानस एकत्रित हुए, राजिम एसडीएम, तहसीलदार ने भी आकाशीय घटना को देखकर जानकारी ली। आकाशीय नजरों को देखने के लिए बच्चे, बुजुर्ग, युवा के साथ साथ पत्रकार रामेश्वर गोस्वामी भी पहुंचे। 

डॉ. गोवर्धन यदु और डॉ. चक्रधारी ने सभी की आकाशीय संबंधी प्रश्नों, जिज्ञासो का सहज तरीके से उत्तर दिया। करीब ढाई घंटे तक स्काईवॉच का कार्यक्रम महाविद्यालय में चला। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी किया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी राज्यश्री देवांगन एमएससी चतुर्थ सेमेस्टर ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ. देवेंद्र देवांगन सहायक प्राध्यापक रसायन शास्त्र ने किया।

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Nil Kumar

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आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

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