भिण्ड । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने कहा कि जैन धर्म ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत का पालन करने वाला धर्म है। भगवान महावीर का प्रकृति से गहरा संबंध रहा था। उन्होंने जंगल में जीव-जंतु ही नहीं वरन् पेड़-पौधों के बीच रह कर अपनी साधना की थी तथा ऋजुपालिका नदी के किनारे एक शाल के पेड़ के नीचे ही उन्हें आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म की पवित्र पुस्तकों (आगमों) में न केवल जीव-जंतु बल्कि पेड़-पौधों पर दया करने का उपदेश दिया गया है। पृथ्वी (मिट्टी), जल, वायु, वनस्पति और अग्नि सभी में जीवन है। इन सभी को हानि नहीं पहुंचानी चाहिए तथा इन्हें नष्ट होने से बचाना चाहिए। जैन धर्म में प्रकृति के उपभोग की बजाय उपयोग करने का उपदेश दिया गया है। यह उद्गार उन्होंने नगर पंचायत उमरी में आयोजित जैन समाज के भगवान महावीर जयंती के अवसर पर निकाले गए चल समारोह एवं धार्मिक अनुष्ठान के तहत मुख्य अतिथि की आशीष से बोलते हुए व्यक्त किए।
श्री कुशवाह ने जैन समाज द्वारा आयोजित धार्मिक कहा की किसी एक तत्व के असंतुलन से समूचा पर्यावरण प्रभावित होता है। आज देश के सभी बड़े शहर प्रदूषित हो रहे हैं। उनके प्रदूषण से जन-जीवन पर संकट आ गया है। ऐसे में जैन धर्म का संदेश विशेष महत्व रखता है। वर्तमान अशांत, आतंकी, भ्रष्ट, हिंसक और प्रदूषित वातावरण में महावीर की अहिंसा ही शांति प्रदान कर सकती है। महावीर की अहिंसा केवल सीधे वध को ही हिंसा नहीं मानती है, अपितु मन में किसी के प्रति बुरा विचार भी हिंसा है। वर्तमान युग में प्रचलित नारा ‘समाजवाद’ तब तक सार्थक नहीं होगा, जब तक आर्थिक विषमता रहेगी। एक ओर अथाह पैसा, दूसरी ओर शून्य जैसा अभाव।
उन्होंने कहा कि इस असमानता की खाई को केवल भगवान महावीर का ‘अपरिग्रह’ का सिद्धांत ही भर सकता है। अपरिग्रह का सिद्धांत कम साधनों में अधिक संतुष्टि पर बल देता है। यह आवश्यकता से ज्यादा रखने की सहमति नहीं देता है। भगवान महावीर ने मानवता के हित की बहुत-सी बातें बताई हैं। जिनमें प्रमुख बातें निम्न हैं, जिसका सार है,दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप अपने साथ चाहते हैं। जिस प्रकार आप दुख पसंद नहीं करते, उसी तरह और लोग भी इसे पसंद नहीं करते। यह जानकर आपको उनके साथ वह नहीं करना चाहिए, जो आप उन्हें अपने साथ नहीं करने देना चाहते। जियो और दूसरों को जीने दो। सभी प्राणियों को जीवन प्रिय है। तू जिसे मारना चाहता है, (जिसको कष्ट व पीड़ा पहुंचना चाहता है) वह अन्य कोई तेरे समान ही चेतना वाला प्राणी है, ऐसा समझ। वास्तव में वह तू ही है।ऐसा सत्य वचन बोलना चाहिए जो हित, मित और ग्राह्य हो अर्थात जो सुखद हो और दूसरों के लिए हानिकारक न हो। यदि सत्य बोलने से किसी को चोट पहुंचने अथवा किसी की मृत्यु होने की संभावना हो तो चुप रहना बेहतर है। सभी प्रकार के व्यवहार में ईमानदार रहें। किसी को धोखा न दें। भगवान महावीर के संदेश को जैन समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का काम करें ताकि भगवान महावीर के विचार और सिद्धांतों की प्रेरणा जैन समाज ही नहीं सर्व समाज को मिल सके हम सब आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े। ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत जैन समाज के शिखरजी एवं अन्य स्थानों को शामिल किया है और हमारे बुजुर्ग हमारी मातृ शक्ति इस योजना के तहत लाभ दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में शिखरजी का आंदोलन चला उसमें भी हमारी केंद्र और प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा करके जैन समाज को आगे बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा जैन धर्म में भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम एवं सभी देवताओं का उनके ग्रंथों में विचार सुनने को मिलता है संत एक समाज का नहीं सर्व समाज का होता है पुष्पदंत सागर महाराज विद्यासागर महाराज प्रतीक सागर महाराज का आशीर्वाद भी हमें मिलता रहे और समाज का मार्गदर्शन इसी प्रकार करते रहे।
पूर्व विधायक श्री कुशवाह को ऊमरी में आयोजित जैन समाज की मेला कमेटी ने पगड़ी पहनाकर उनका सम्मान किया। श्री कुशवाह भगवान महावीर जयंती के चल समारोह में भी शामिल हुए और पैदल चलकर समाज का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर समाज के लोग काफी संख्या में मौजूद थे और जैन समाज के जलूस में शरीक होकर मंदिर पर पहुंचे जहां उनका सम्मान किया गया।