महेंद्र शर्मा उप संपादक पुष्पांजलि टुडे
ग्वालियर ।मध्यभारतीय हिन्दी साहित्य सभा ग्वालियर ,दौलत गंज लश्कर ,ग्वालियर के भवन में गत दिवस मासिक "इंगित काव्य गोष्ठी" का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ नवगीतकार बृजेश चंद्र श्रीवास्तव ने की । मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार अनंगपाल सिंह भदौरिया "अनंग ", विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार डॉ .किंकरपाल सिंह जादौन एवं सारस्वत अतिथि के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् मध्य भारत प्रांत के महामंत्री आशुतोष शर्मा मंचासीन रहे । इस अवसर पर साहित्य सभा के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांत अध्यक्ष डॉ. कुमार संजीव भी सभा भवन में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन राम चरण चिराड़ " रुचिर " एवं संचालन ज्योति दिनकर ने किया।
प्रारम्भ में अतिथि परिचय कार्यक्रम संयोजक राम चरण रुचिर ने कराया। अतिथियों द्वारा सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन कर पुष्पहार भेंट किया गया। सरस्वती वंदना आरती अक्षत ने सुमधुर स्वर में प्रस्तुत की ।तत्पश्चात काव्य पाठ का क्रम आगे बढ़ा । काव्य पाठ करने वालों में उमा उपाध्याय आरती अक्षत ,रामचरण रुचिर ,ओमप्रकाश रिछारिया ,अमर सिंह यादव ,राज किशोर बाजपेई "अभय", डॉ.लोकेश तिवारी , नयन किशोर श्रीवास्तव, राम लखन शर्मा दिनेश विकल ,अनिल राही ,प्रदीप पुष्पेंद्र ,मोहन योगी ,डॉ. कमला शंकर मिश्रा, ज्योति दिनकर, डॉ.करुणा सक्सेना ,डॉ किंकरपाल सिंह जादौन, अनंगपाल सिंह भदौरिया "अनंग" ,आशुतोष शर्मा ,पुष्पा मिश्रा "आनंद" आदि ने एक से बढ़कर एक रचनाओं का पाठ कर कार्यक्रम को गरिमामय बना दिया।
काव्यपाठ में प्रस्तुत काव्यांश इस प्रकार हैं।
"बिन पानी के कोई नदिया कभी बह नहीं सकती ।
उसको मुझसे प्यार बहुत है ,मगर नहीं कुछ कह सकती। "
*नयन किशोर श्रीवास्तव*।
जब तुम मेरे पास हुए हो,
पतझड़ में मधुमास हुए हो।
*राम लखन शर्मा "अंकित"*
मेरे दुश्मन भी जब मुझ पर मेहरबान
होते जाते हैं ।बुरे दिन मेरे तब और आसान होते जाते हैं।
*दिनेश विकल*।
"नए साल में कुछ कर दिखाएंगे,
गीत हम नया गुनगुन आएंगे" ।
*अनिल राही*।
बन बैठे जो आज समुंदर ,
सब ही हैं खारे के खारे ।
*राजकिशोर बाजपेई "अभय"*।
किसी हादसे ने लिख डाला मेरा नाम तुम्हारे घर में ।
प्रश्न पूछता दरवाजे से खिड़की हिलती है उत्तर में ।
*प्रदीप पुष्पेंद्र*।
शहीद की मां किसी मां से कम नहीं होती।
कायर की बगावत में कोई दम नहीं होती।
*अमर सिंह यादव*।
पीपल तो बरखा आने पर फिर श्रृंगार सजा लेगा ।
मैं तो प्रिय से बिछड़ा ऐसा उसे कहां फिर पाऊंगा ।
*डॉ लोकेश तिवारी*।
भाव रस व्याकरण शब्द अक्षर वेदनाओं से तर हो रहे हैं।
आज दु:ख से बिलखती है कविता व्याकरण बेअसर हो रहे हैं ।
*ज्योति दिनकर*।
हनुमत की महिमा अमित ,
जग में है सिरमौर।
रामभक्ति बल ज्ञान में,
देवों में नहीं और ।।
*रामचरण रुचिर*।
एक तरफ था दिल्ली का वह अहंकारी अकबर।
मुगलों के ही साथ साथ थे कई राजपूती लश्कर।
*आशुतोष शर्मा*
एक मैं का सर्पदंश हर किसी को डस रहा।
बस एक अहंकार जो प्राणों में बस रहा।
*उमा उपाध्याय*।
पंक्ति पंक्ति वंदना का भाव है विचार है। काव्यधर्म साधना का शब्द शब्द प्यार है ।
*आरती अक्षत*।
कितने खुश थे वो दिन यार,
एक तकिया था सिर थे चार ।
*ओमप्रकाश रिछारिया*।
लफ्ज़ एहसास और शहर ,
जिंदगी हो गई है अब कहर।
*मोहन योगी*।
आ गए पंछी प्रवासी, हेरती आंखें प्यासी।
*डॉ .किंकरपाल सिंह जादौन*
तृप्ति रूप है मेरा वा संतुष्टि कलेवर है।
इन दोनों के बीच कहीं मेरा सुंदर घर है।
*अनंगपाल सिंह "अनंग"*।
मेरी उम्मीद मेरा ख्वाब है तू।
धूप में खिलता एक गुलाब है ।
*डॉक्टर करुणा सक्सेना*
एक तरफ था दिल्ली का वह अहंकारी अकबर।
मुगलों के ही साथ-साथ थे कई राजपूती लश्कर ।
*आशुतोष शर्मा*
अध्यक्ष के रूप में अपने उद्बोधन देते हुए बृजेश चंद्र श्रीवास्तव ने सभी रचनाकारों को बहुत सराहा एवं उत्कृष्ट रचना पाठ के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम की उत्कृष्टता को इंगित करते हुए उन्होंने "इंगित काव्यगोष्ठी" को निरंतर सोपान चढ़ने का यह अनुपम प्रतीक बताया।
इस अवसर पर उन्होंने अपना एक गीत प्रस्तुत किया प्रस्तुत किया।।
"संबोधन की जगह किसी ने हरसिंगार लिखा।
लगा कि जैसे अंतर्मन में पलता प्यार लिखा। "
यह गीत बहुत सराहा गया।
कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार प्रदर्शन कार्यक्रम संयोजक रामचरण "रुचिर" ने किया ।
कार्यक्रम के अगले क्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद मध्य प्रांत ग्वालियर जिले के कार्यकर्ताओं की बैठक डॉ कुमार संजीव प्रांताध्यक्ष एवं आशुतोष शर्मा प्रांत महामंत्री ने ली, जो आगामी योजनाओं पर केंद्रित रही ।इस अवसर पर सभा महामंत्री धीरज शर्मा, डॉक्टर मंदाकिनी शर्मा ,व्याप्ति उमड़ेकर ,अंकित अग्रवाल , जया अग्रवाल सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे ।