अशान्त व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता-पूज्य चिन्मयानंद बापू

  • Apr 15, 2023
  • Pushpanjali Today

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चले सुदामा कृष्ण से मिलने चाबल बांधे पुटरिया में टीका टीक दुफ़रिया में

लहार-

  नगर के उपाध्याय गार्डन में अम्बरीष शर्मा गुड्डू भैया द्वारा आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन पूज्य कथाबाचक अंतरराष्ट्रीय संत चिन्मयानंद बापू ने कहा कि जीवन में कितना भी धन ऐश्वयं की सम्पन्नता हो लेकिन यदि मन में शान्ति नहीं है तो वह व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता। वहीं जिसके पास धन की कमी भले ही हों सुख सुविधाओं की कमी हो परन्तु उसका मन यदि शान्त है तो वह व्यक्ति वास्तव में परम सुखी है यह हमेशा मानसिक असंतुलन से दूर रहेगा कथा प्रसंग मे परम भक्त सुदामा चरित्र पर प्रकाश डालते हुए परम श्रद्धेय आचार्य पूज्य चिन्मयानंद बापू ने कहा कि श्रीसुदामा जी के जीवन में धन की कमी थी, निर्धनता थी लेकिन वह स्वयं शान्त ही नहीं परमशान्त थे इस लिये सुदामा जी हमेशा सुखी जीवन जी रहे थे। क्योंकि उनके पास ब्रह्म (प्रभुनाम) रूपी धन था। धन की तो उनके जीवन में न्यूनता थी परन्तु नाम धन की पूर्णता थी हमेशा भाव से ओत प्रोत होकर प्रभु नाम में लीन रहते थे उनके घर में वस्त्र आभूषण तो दूर अन्न का एक कण भी नहीं था जिसे लेकर वो प्रभु श्री द्वारिका धीश के पास जा सकें परन्तु सुदामा जी की धर्म पत्नी सुशीला के मन में इच्छा थी, मन में बहुत बड़ी भावना थी कि हमारे पति भगवान श्री द्वारिकाधीश जी के पास खाली हाथ न जायं। सुशीला जी चार घर गई और चार मुट्ठी चावल मांगकर लायी और वही चार मुट्ठी चावल को लेकर श्री सुदामा जी प्रभु श्री द्वारिका धीश जी के पास गये और प्रभु ने उन चावलों का भोग बड़े ही भाव के साथ लगाया उन भाव भक्ति चावलों का भोग लगाकर प्रभु ने यही कहा कि हमारा भक्त हमें भाव से पत्र पुष्प, फल अथवा जल ही अर्पण करता है, तो में उसे बड़े ही आदर के साथ स्वाकार करता हूँ प्रभु ने चावल ग्रहण कर श्री सुदामा जी को अपार सम्पत्ति प्रदान कर दी पूज्य बापू जी ने इस पावन सुदामा प्रसंग पर सार तत्व बताते हुए समझाया कि व्यक्ति अपना मूल्य समझे और विश्वास करे कि हम संसार के सबसे महत्व पूर्ण व्यक्ति है तो वह हमेशा कार्यशील बना रहेगा। क्योंकि समाज में सम्मान अमीरी से नहीं इमानदारी और सज्जनता से प्राप्त होता है आज विशेष महोत्सव के रूप में फूल होली महोत्सव विशेष धूम धाम से मनाय, गया जिसमें आज पूज्य बापू जी द्वारा "होली खेल रहे बांके बिहारी" बांके बिहारी को देख छटा मेरे मन है गयो लटा-पटा आदि भजनों को बड़े ही भाव के साथ गुन-गुनाया गया।


कथा में ये रहे मौजूद


शुक्रवार को कथा में महंत उधोदास जी महाराज,आशु चतुर्वेदी बिधायक प्रतिनिधि कालपी, महेश चंद्र चौधरी पूर्व कमिश्नर,बीरेंद्र चतुर्वेदी उरई,कमल शर्मा जी,स्वामी अमितानंद जी महाराज,बिशाला नंद जी महाराज,मोहनदास जी महाराज,बैश्नोदास बड़ोखरी धाम,रामशरण दास जी महाराज,रामकिशोर शास्त्री,डॉ सुधीर राजोरिया,मुकेशनन्द जी महाराज,आत्माराम उपाध्याय,मुकेश दीक्षित,महंत कल्लू,सोनम सतीश पाराशर,रोहित त्रिपाठी,बिनय शर्मा,संजू चौहान,दिनेश शुक्ला,सन्तोष बौहरे,बृजकिशोर उपाध्याय,डॉ भगवती प्रसाद पाराशर,भगवती दुबे,कैलाश भटेले,बॉबी तिगुनायक, सोनू त्रिपाठी, मोनू पचौरी,विनोद दीक्षित,विक्की तिवारी,कल्लू दुबे थरेट, महेंद्र उपाध्याय उड़ी,पुनीत भटेले झांसी,बिनय उपाध्याय युवा नेता सेवड़ा,कल्लू उपाध्याय झांसी,राजीव भारद्वाज, रोहित उपाध्याय,आसीस पाराशर, टोनी श्रीवास्तव, लल्लाप्रसाद झा,अनूप दुबे,केदार सिंह भटपुरा,रामकुमार कौरव,मुलु सक्सेना,छोटू तिगुनायक, मलखान सरपंच,राजीव पाराशर,नरेश भारद्वाज, बृजबिहारी भारद्वाज, मुकेश पाठक,बबली श्यामू थापक,मनोज उपाध्याय,अंगद शर्मा,राजू मुङोतिया, अनिल दुबे,लालदास उपाध्याय,छोना मिश्रा,दिनेश पांडेय,शिवानी गोपाल चौधरी,रामशरण राजोरिया,रामशंकर पाराशर,रेखा सन्तोष चौधरी,राधामोहन तिवारी,गिलहरी गुप्ता,रामस्नेही गुप्ता,डालचंद गुप्ता,शेखर गुप्ता,कल्लू गुप्ता,अंजू संजीव दीक्षित राणा,बल्लू बकील,देव सिंह यादव आदि सैकड़ा लोग प्रमुख रूप से मौजूद रहे ।

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Nil Kumar

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आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

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आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक