परिवर्तन विरासतकी तर्ज पर पाटन संग्रहालय में विश्व विरासत दिवस की पहल पर शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की एक बैठक आयोजित की गई।

  • Apr 19, 2023
  • Mr.Nil Kumar Gujrat

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परिवर्तन विरासतकी तर्ज पर पाटन संग्रहालय में विश्व विरासत दिवस की पहल पर शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की एक बैठक आयोजित की गई। 


 नील कुमार - पुष्पांजली टुडे, पाटन/गुजरात


18 अप्रैल को यूनेस्कोने विश्व.विरासत दिन घोषित किया है तब उत्तर गुजरात के ऐतिहासिक शहर गुजरातकी प्राचीन राजधानी पाटन में खेल और युवा सांस्कृतिक गतिविधियों विभाग, गांधीनगर पुरातत्व और संग्रहालय लेखा, गुजरात राज्य द्वारा संचालित पाटन संग्रहालय, पाटन के ऐतिहासिक क्षेत्र में रुचि रखने वाले पाटन के विभिन्न ऐतिहासिक संस्थानों और प्रबुद्ध शहरी जनो की बैठक का आयोजन किया गया था जीसमे पाटन की विरासत और ऐतिहासिक मामलों के जानकार विशेषज्ञो ने शिरकत की। विश्व विरासत दिवस 2023  *परिवर्तन विरासत* के विषय पर आयोजित किया जा रहा है, पाटन के विशेषज्ञों ने पाटन की बदलती विरासत पर चर्चा की है।

जिसमें पाटन के जैन अभिलेखागार में बहुमूल्य पांडुलिपियां, 14वीं व 15वीं शताब्दी के दुर्लभ ग्रंथ आयुर्वेद के लगभग 2500 सर्वथा दुर्गम ग्रन्थों का संग्रह मौजुद है जीस के बारेमे  जैन अग्रणी श्री. यतिनभाई शाह ने बहुत अच्छी जानकारी दी। भारत के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य बाबा रामदेव, पतंजलि आश्रम ने स्वयं आयुर्वेद ग्रंथों का सत्यापन किया और कहा कि इन अप्राप्य ग्रंथों के अध्ययन काफी अर्थपुर्ण है जीस के चलते पतंजलि योग आश्रम से सात से आठ आयुर्वेदाचार्यों का दल प्रतिवर्ष अध्ययन करने हेमचंद्राचार्य ज्ञानमंदिरमे आता है। यतीनभाईने हजारों वर्षों से चली आ रही इस अनमोल ज्ञान धरोहर को संवर्धन संरक्षित करने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों की जानकारी देकर उपस्थित सभी विशेषज्ञों को चकित कर दिया। और वास्तव में बिखरने वाली विरासत और बदलती विरासत का अर्थ के बारे मे सभी को अवगत कराया। साथ ही पाटन के मिट्टी के खिलौनों की दम तोड़ती कला के बारे में श्री. जितेंद्रभाई ओतीया ने व्यक्तिगत रूप से वैज्ञानिक तरीके से तैयार किये गये मिट्टी के खिलौनों का प्रदर्शन किया। इस प्रकार बदलती विरासत पर व्यापक चर्चा के माध्यम से इस विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए थे।

पाटन शहर के वरिष्ठ इतिहासकार श्री अशोकभाई व्यास, जो विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित थे, उन्होने पाटन की प्राचीन विरासत और सिद्धराज जय सिंह की स्मृति में एकमात्र शिलालेख कीर्तिस्तंभ के बारे में बताया, जो आज भी पाटन के विजल कुंआ विस्तार के एक शिव मंदिर की दीवार पर है। पाटन के प्रबुद्ध नागरिक शैलेशभाई ब्रह्मक्षत्री ने पाटन की सफलता की कहानी सुनाई और फिर से पाटनमे कीर्ति स्तंभ को खड़ा किया जाना चाहिए और पाटन की महिमा करने वाली झांकियां  जो की आज बगवाड़ा दरवाजा विस्तार में, शहर के आनंद सरोवर में और पुराने सरकारी विश्राम गृह के पास लगाई गई है वो आज जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। उन झांकियो के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। कार्यक्रम के आयोजक एवं प्रशासक डॉ. आशुतोष पाठक ने विश्व विरासत स्थल रानी की वाव पर जलवायु के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और क्षतिग्रस्त वाव वास्तुकला की तस्वीरों के साथ उपस्थित लोगों का ध्यान आकर्षित किया। रोपण मूर्तियों को धूप और वर्षा के पानी से बचाने के लिए उपयुक्त गुंबदों के साथ परिसर को  मिट्टी की नमी के प्रभाव से कैसे रोकें और कवर करें, ये समझाया।

और यह विशेष रूप से बताया कि पाटन के रानी की वाव और पाटन क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र में वर्ष के दौरान जब छह से सात लाख पर्यटक आते हैं, तो इन पर्यटकों का लाभ पाटन के किसी कला पेशे, व्यवसाय उद्योग या हस्तकला उद्योग को नहीं होता है। उन्होने अनुरोध किया कि पाटन जिला क्षेत्र के हस्तकला कारिगरो, शिल्पकारों, कुशल शिल्पियों के लिए कालिका माता के प्राचीन मंदिर के.विस्तार में एक ग्राम हाट बनाना चाहिए जो कि विस्तार का एक समृद्ध पर्यटन का धन पूल बन सकता है। पूरे कार्यक्रम में उपस्थित सभी विशेषज्ञों ने अपनी राय दी और नगर सेवक मनोज पटेल और पाटण नगरपालीका के स्वच्छता शाखा के अध्यक्ष गोपालसिंह राजपूत ने इन सभी मामलों का समन्वय किया और डॉ. आशुतोष पाठक को एक दस्तावेज तैयार करने और सभी मामलों को संबंधित सरकारी विभागों तक पहुंचाने के लिए कहा. चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्री महासुखभाई मोदिने पूरे कार्यक्रम के आयोजन एवं संचालन के लिए डॉ. आशुतोष पाठक एवं पाटन संग्रहालय के कार्यकारी सहायक क्यूरेटर मेडम तेजलबेन परमारका आभार व्यक्त किया

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