मां पांडरी पाठ धाम वारी में वन्य जीव की प्रतिमुर्ती को प्रारूप दे रहे कलाकार शेसराम कोरे

  • Oct 20, 2022
  • Ritesh Katare Balaghat

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आस्था के साथ प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है पांडरी पाठ धाम

रितेश कटरे ब्युरो चीफ पुष्पांजलि टुडे बालाघाट

मनुष्य प्रकृति का अंग है। प्रकृति को देखना और उसके साथ रहना ही काफी नहीं है। उसको भोगना, महसूस करना और जीवन में उसको उतारना जरूरी होता है। वृक्ष के पास बैठकर संवेदना और करुणा का अनुभव नहीं हुआ, झील के नीचे बैठकर मां के प्यार को महसूस नहीं किया, तो उसका क्या फायदा है? बालू, पानी, जंगल, पहाड़, जीव-जंतु सभी इस प्रकृति के अंग हैं। उनसे मनुष्य का गहरा नाता है। और ये मनुष्य को किसी धार्मिक स्थल के समीप ही देखने मिलता है। सनातन संबंध से मनुष्य को अपने आप को जोड़ना होगा। यदि फूल से प्रेम नहीं किया, जानवरों से करुणा नहीं दिखाई तो जीवन में सौंदर्य का अभाव रहेगा। और इंसान तनाव में रहेगा।

प्रकृति की खुबसूरत छटाओं को समेटे जिले की लांजी तहसील अंतर्गत ग्राम वारी स्थित मां पांढरीपाठ देवी मंदिर की यश और कीर्ति दिनोदिन बढ़ती जा रही है। एक ओर श्रद्धालु दर्शन को आते हैं तो दूसरी ओर शैलानी प्रकृति की अनोखी छटा को निहारते नजर आते हैं। वारी मंदिर में देवी देवताओं के दर्शन के अलावा वहां पर पालतू गौमाता के साक्षात दर्शन होते हैं। वहीं वन्य प्राणियों की खूबसूरत प्रतिमाएं दर्शकों को मोहित करती है। त्यौहारों के अलावा अन्य दिन भी सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। जंहा माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वहीं पंडा बाबाजी रेखलाल कावरे के द्वारा माता रानी की सेवा की जाती है जिसका पुण्य प्रताप सभी दर्शनार्थियों एवं शैलानीयों को मिलता है। 

कलाकार शेसराम कोरे की कला में अनोखा जादू

नागपुर निवासी मुर्तिकार शेसराम कोरे के द्वारा मंदिर परिसर में खुबसूरत छटाओं का साक्षात्कार कराया है। जंहा एक ओर भगवान श्री कृष्ण गोर्वधन पर्वत धारण की हुई प्रतिमा को प्रतिरूप दिया है। वहीं गौमाता और बछड़े की प्रतिमा, वन्य जीव जिनमें, हाथी शेर, बाघ, शुतुरमुर्ग, हंस , कमल पुष्प और झरने की प्रतिमुर्ति बनाईं है। फिलहाल शेसराम कोरे बारहसिंगा की प्रतिमा को प्रतिरूप प्रदान कर रहे हैं, जिसे दर्शनार्थीयों के द्वारा जमकर सराहना की जा रही है वहीं उनके कला को देखते ही रहते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती के बिच ईश्वर की रचनाओं का साथ मिले, तो तनाव दूर होता है। प्रकृति जो मानव को फिर से ऊर्जा, ताजगी, चैतन्यता देकर जीवनशक्ति बढ़ा देती है। प्रकृति की रचनाओं के संग सुकून का एहसास होता है। यह तनाव और चिंताओं को दूर करता है और सोच को सकारात्मक दिशा के साथ कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है। वारी भ्रमण में पेड़ों से दोस्ती, तालाब-पोखर नहर- जलाशय से जुड़ाव और हवा, मिट्टी, जंगल के जीवों से प्रेम करना सिखाया जाता है। पेड़ों की गंध और जंगल से आती खुशबू और पक्षियों की मधुर आवाज, हवा के साथ मोहक सुवास में आस्था के साथ व्यक्ति को मानसिक स्नान कराया जाता है। एसा हैं मां पांडरी पाठ माई का धाम।

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