अनाथ दुर्गेश कुमार यादव का फुटी किस्मत बिना मां -बाप का पला बड़ा अब सरकार से आर्थिक सहायता राशि के लिए लगा रहा है गुहार

  • May 06, 2023
  • Lekhraj Chakradhari Gariyaband

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संवाददाता  हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट


देवभोग :- डूमरबाहाल में निवास कर रहा अनाथ दुर्गेश कुमार यादव उम्र 9 वर्ष का दर दर ठोकरें खा कर भी अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। इस बच्चा का न मां हैं और न ही बाप है, दुर्गेश का मां एक दो गांव में विवाह हुईं थीं, परंतु सास बहू के बीच प्रतिदिन गाली झगड़ा चलते रहने के कारण वह अपने मां बाप के घर चली आई और रह गई। किसी दूसरे गांव में जाने को तैयार नहीं हुईं। परंतु गांव में कुछ ग़लत मन में विचार कि और एक बच्चा को जन्म दीं, लड़का का दो तीन साल का होनें से अचानक एक लंबी बीमारी के कारण एक दिन मौत हो गई। उसी दिन से दुर्गेश कुमार यादव का पालन पोषण व देख रेख उसका छोटे नाना राजेश कुमार यादव ही कर रहा है। राजेश कुमार यादव अपने नाती को पुत्र की तरह पालन पोषन कर रहा है। नाती का देख भाल को चलते राजेश कुमार यादव शादी विवाह का ख्याल मन से भूला कर नाती के पालन पोषण में दिन गुजार दिया। लेकिन अभी ऐसी स्थितियां हो गई हैं कि, एक आम आदमी को जीना बहुत ही समस्या हो गया है। आज कल हर चींजों का महंगाई बढ़ रही हैं। एक गरीब व्यक्ति को इस मंहगाई से गुजरना आम बात नहीं है। जिससे कि आर्थिक स्थिति का चिंता मन ही मन सताया जा रहा है। दुर्गेश का ना ही मां और ना ही बाप है इसे कोई भी परवरिश करने वाले लोग हैं, और न ही इसके नाम पर जमीन जायदाद हैं, इसका जिंदगी बद हालाती से गुजर रहा है, जिस तरह कुएं के अंदर मेंढ़क। जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उसी तरह से दुर्गेश कुमार यादव का जीवन यापन भी अंधेरा छाया हुआ है, इसका जिंदगी में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो कि उजाला कर सकें। और कुछ पल भर के लिए मदद मिलें सकें।दुर्गेश का पढ़ाई लिखाई और खान पान रहन सहन किस तरह से गुजरेगी बड़ी चिंता की बात है कि आर्थिक संकट गले में बांध रखा है। जब गांव के सभी बच्चे स्कूल को पढ़ने जाते हैं तो ध्यान से पढ़ते लिखते हैं और शिक्षक द्वारा पढ़ाया गया अक्षरी व वर्ण माला ज्ञान को आसानी से समझ कर शिक्षक व मां बाप के पास बोल सकते है। लेकिन दुर्गेश के दिमाक में कुछ अलग सोच चलता रहता हैं, अपने मन ही मन मां बाप को याद करता रहता हैं, इस कारण न पढ़ाई में थोड़ा सा भी मन लगाकर पढ़ाई लिखाई नहीं करता हैं और न ही समझ कर बोल सकता हैं दूसरी तरफ इसका दिमाक यह चलता है कि दूसरे बच्चों को अच्छे कपड़े पहने हुए देख कर तथा खाना पान रहन सहन देख कर भी मन में सोचने लगता है। इस लिए ध्यान इधर उधर भटकाता रहता हैं।बीन मां बाप का बच्चा का परिवेश कुछ अलग ही होता है। और मां बाप का रहते हुए बच्चे का अलग किस्म के होते है। दुर्गेश कुमार यादव का अभिभावक राजेश कुमार यादव का कहना हैं कि सरकार के द्वारा अभी कुछ ही दिनों में लागू करने जा रही हैं और कलेक्टर साहब ने सभी अधिकारियों को बैठक में यह कहा गया है, जितने भी गरियाबंद जिले में 18 वर्ष तक के अनाथ बच्चें हैं। तत्काल जानकारी देने को कहा गया है अनाथ बच्चों को यह सहायता दी जाने वाली जन कल्याणकारी योजना सरकार ने बनाई गई हैं।यदि इस योजना से मेरा नाती दुर्गेश कुमार को लाभ दिया जाए तो उसके जीवन में खुशियां आएंगी तथा अच्छें शिक्षा प्राप्त आगे बढ़ कर उसका उज्जवल भविष्य संवर जाएगी, और कभी भी मन में यह विचार नहीं आएगा कि मैं अनाथ रूप से जीवन यापन गुजार रहा हूं।उसे मन से छुटकारा पा कर सुन्दर ढंग से पढ़ लिख कर आगे बढ़ कर एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर सके। इसी आशा और विश्वास से में शासन -प्रशासन से निवेदन करना चाहूंगा कि सरकार कि योजना जो अनाथ बच्चों को प्रति माह सहायता राशि अभी कुछ ही महीनों के बाद लागू करने जा रही हैं। मेरा नाती दुर्गेश कुमार यादव को लाभ दिला कर आर्थिक संकट से जूझ रहा गरीब बेसहारा बच्चा का सहायता कर भविष्य में कभी भी अंधेरा न छाए, जिस तरह से प्रातः काल कि उगती सूरज कि रोशनी अंधेरा को उजाला कर सुशोभित करतीं हैं। उसी तरह से दुर्गेश कुमार यादव के जिंदगी में भी सदैव प्रकाश पड़तें रहें।


मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रतीक प्रधान के द्वारा यह कहा गया कि उक्त बच्चा का जनपद पंचायत देवभोग में आवेदन जमा करने को कहा गया है, और यह कहा गया कि,सरकार के द्वारा अनाथ बच्चों को प्रति माह सहायता राशि दी जाएगी इस योजना से इसका लाभ अवश्य दिया जाएगा

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