हनुमान सत्संग धाम में हुआ काव्य संध्या का आयोजन

  • May 07, 2023
  • Pushpanjali Today

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   ग्वालियर । कृष्णा विहार, थाटीपुर ग्वालियर स्थित "श्री हनुमान सत्संग धाम" में गत दिवस" बुद्ध पूर्णिमा" के उपलक्ष्य में सुंदर काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम व धाम संरक्षक के रुप में महामंडलेश्वर संतोष गुरुजी इस अवसर पर सदन में व्यासपीठ आसन पर विराजमान रहे।

      कार्यक्रम में सर्वप्रथम सरस्वती वंदना उमा उपाध्याय ने सुमधुर स्वर में प्रस्तुत की। तत्पश्चात् कवियों द्वारा काव्य क्रम को आगे बढ़ाया गया। काव्य पाठ करने वालों में सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा, जगदीश गुप्त महामना, रविंद्र नाथ मिश्र, रामचरण "रुचिर", दिनेश विकल, अनिल राही, के के पांडे ,जगमोहन श्रीवास्तव, उमा उपाध्याय ,राजीव सक्सेना,  संचालक साजन ग्वालियरी  ने एवं अंत में आशीर्वचन देते हुए काव्यपाठ महामंडलेश्वर संतोष गुरुजी ने भी किया।

      इस अवसर पर  सदन के  वयोवृद्ध सदस्य  पाण्डेय जी , सचिव "श्री हनुमान सत्संग धाम "द्वारा गुरुजी के निर्देश निर्देशानुसार सभी  कवियों एवं साहित्यकारों का माल्यार्पण कर  स्वागत किया गया।

      कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन कवि साजन ग्वालियरी ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन  संतोष गुरुजी ने कार्यक्रम की सफलता पर सभी का आभार व्यक्त किया।

        कार्यक्रम में अनेक संख्या में श्रद्धालु श्रोता गण एवं  सभ्रांत नागरिक  उपस्थित रहे। इस अवसर पर जो काव्य पाठ किया गया ,उसके काव्यांश इस प्रकार हैं।  

मेरे दुश्मन भी अब मुझ पर मेहरवां होते जाते हैं ‌।

बुरे दिन भी मेरे तब और आसां होते जाते हैं।

              *दिनेश विकल*


आज का मानव इसमें कदर भागा जा रहा है।

 सुरक्षा के लिए कांच की दीवारें बना रहा है।

                *उमा उपाध्याय*


बाल रूप भगवान बसे हैं हनुमत सतसंग धाम।

 करते हैं कल्याण सभी का बोलो जय सियराम।

              *अनिल राही*


करोगे  क्या  किसे अर्पण, हकीकत सामने होगी जो देखोगे सही दर्पण ।

               *राजीव सक्सेना राज*


पूत सपूत हो नहीं सुनिश्चित, पर एक बात अटल है।

जीवन में उजियारा लाती बेटी है तो कल है।    

               *कवि रामचरण "रुचिर "*


तन मन शुभ आचरण से, रहे सदा जो शुद्ध।

कृपा करेंगे हर समय उस पर गौतम बुद्ध।

            *कवि साजन ग्वालियरी*


हमने एक नेता जी से पूंछा, भ्रष्टाचार के बारे में आपका क्या ख्याल है?

 नेता जी बोले एक बार फिर से पूछो, भगवान कसम बड़ा अच्छा सवाल है।

                 *कवि के के पांडे*


पग पग में प्रलोभन है, फूलों में है नाग बसे। 

 या तो शिव होना है, या शव हो निकलना है।

         *महामना जगदीश*।


मिल ना पाए जो तुमसे अलग बात है दर्द चलता रहा एक घड़ी की तरह ।

            *डॉ. रवींद्र नाथ मिश्र*


नित्य निशा शाश्वत् चांदनी जीवन छंद सुनाती है ।और भये रवि ललित लालिमा नवजीवन दे जाती है ।

           *जगमोहन श्रीवास्तव*


कभी उन्हें भी ढूंढिए ,रहे आपके पास। शरद चांद भी जलधि के ,आ जाता है पास।   

   *सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा*


कार्यक्रम के शीर्षक्रम में  संतोष गुरुजी ने सभी की इस आयोजन पर बहुत-बहुत सराहना करते हुए शुभाशीष प्रदान किया और आध्यात्मिक गतिविधियां एवं सत्संग धाम में निरंतर आयोजन के लिए सभी का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने भी काव्य पाठ करते हुए कहा।

"*गुरु ज्ञान की गंगा में पावन हो जाते हैं।

 परमेश्वर की महिमा को जान भी पाते हैं "। 

      *महामंडलेश्वर संतोष गुरुजी*

       इसके पश्चात् ही उनके द्वारा  आभार प्रदर्शन कर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई।

     कार्यक्रम बहुत ही सराहनीय एवं अविस्मरणीय रहा।

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