संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट
गरियाबंद :- गरियाबंद के द्वारा कुश्ती के जाने-माने महिला पहलवानों पर हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर संघर्ष कर रहे खिलाड़ियों के समर्थन में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम तहसीलदार गरियाबंद को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में हमने मांग की कि 1. डब्ल्यू. एफ. आई. के चीफ, ब्रिज भूषण शरण सिंह को उसके पद से तुरंत बर्खास्त किया जाये और संघ से निष्कासित किया जाये। 2. डब्ल्यू. एफ. आई. के चीफ, ब्रिज भूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किया जाये। 3. यौन उत्पीड़न की घटनाओं के साथ जुड़े अपराधियों को उदाहरण मूलक सज़ा दो। 3. महिलाओं की हर तरह की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार व पुलिस-प्रशासन उचित कदम उठाए। आप जानते है कि विश्व भर में खेल जगत में भारत का नाम रोशन करने वाले पहलवान खिलाड़ियों को आज न्याय मांगने के लिए मजबूर होकर सड़क पर उतरना पड़ा है। जनवरी से डब्ल्यू. एफ. आई., रेसलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, के चीफ और भाजपा सांसद ब्रिज भूषण शरण सिंह के खिलाफ, महिला पहलवान खिलाड़ियों पर यौन उत्पीड़न करने का मामला सामने आ रहा था। लेकिन 3 महीने बाद भी इस मामले की एफ. आई. आर. तक दर्ज नहीं की गई थी। इस मसले पर ना तो सरकार कि तरफ से, और ना ही पुलिस- प्रशासन की तरफ से कोई कदम उठाया गया जिसके चलते पहलवान खिलाड़ियों ने प्रतिवाद के रूप में जंतर मंतर पर धरने के आयोजन किया है। सुप्रीम कोर्ट जाने पर मजबूरी में दिल्ली पुलिस द्वारा FIR दर्ज की गई। FIR में पॉस्को एक्ट के तहत भी मामला दर्ज है फिर भी 24 घण्टे बीत जाने पर अभी तक गिरफ्तार नही किया गया है। जो कि देश के कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। क्या ये नेता मंत्री कानून से ऊपर हो गए है कि उनके कोई कार्यवाही नही हो रही है। इस घटना पर प्रधानमंत्री जी की चुप्पी भी समझ से परे है। यह घटना कोई विछिन्न घटना नहीं है। पूरे देश में सत्ताधारी पार्टियों ने जो निम्नस्तर सांस्कृतिक माहौल तैयार किया है। यह शर्मनाक घटना उसका ही परिणाम है। यह बहुत गंभीर विषय है कि आज 8 महीने की बच्ची से लेकर 80 साल की वृद्ध महिलाओं तक कोई भी घर, शिक्षण संस्थान, कार्यस्थल कहीं भी सुरक्षित नहीं है। एक तरफ जहां सामाजिक- आर्थिक तौर पर महिलाएं, इंसान होने के बावजूद समाज में बराबरी का दर्जा पाने के लिए संघर्षरत है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की शर्मनाक घटनाएं इस संघर्ष को और भी कठिन बनाने का काम कर रही हैं। आए दिन देश भर में इस प्रकार की घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी, केंद्रीय व राज्य सभी सरकारें अपने ही देश में रह रहीं महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में पूरी तरह से नाकामयाब रहीं है। इस प्रकार की घटनाओं की गंभीरता और भी नग्न रूप में सामने आती है जब देश की जनता को आदर्श का पाठ पढ़ाने वाली सत्ताधारी पार्टियों के नेता इस तरह के घिनौने कृत्यों में लिप्त पाए जाते हैं और यह भी देखने मिल रहा है कि आंदोलन का समर्थन करते दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों की पुलिस द्वारा क्रूरतापूर्वक गिरफ्तार की जा रही है जबकि असली आरोपी खुला घूम रहा है। ऐसे में जनता सुरक्षा की उम्मीद किससे करे? ऐसी स्थिति में पहलवान खिलाड़ियों के द्वारा चलाया जा रहा यह आंदोलन अत्यंत महत्वपूर्ण तथा देश भर की जनता के लिए प्रेरणादायक और एक उम्मीद की किरण जैसा है। हमारे छात्र संगठन एआईडीएसओ द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ संघर्षरत महिला पहलवानों के समर्थन में 4 मई को अखिल भारतीय एकजुटता दिवस मनाया गया । हम आम जनता से अपील करते हैं कि इस आंदोलन में इन खिलाड़ियों का साथ दे। यह आंदोलन केवल उन महिला पहलवानों का खिलाड़ियों का आंदोलन नही है। यह आंदोलन, हर उस नागरिक का आंदोलन है जो यह मानते है कि देश की बेटियां व महिलाएं सुरक्षित रहें व अपराधियों को सजा मिले चाहे वह नेता मंत्री का बेटा या स्वयं मंत्री ही क्यों न हो।