देवेंद्रनगर पुलिस या तो लापरवाह है,या चोरों से मिली है जानकारी के बाद भी चोरों को नहीं पा रही पकड़–शिकायत कर्ता का आरोप
पन्ना - जब से देवेंद्र नगर का प्रभार थाना प्रभारी शक्ति पांडे को सौंपा गया है तभी से देवेंद्र नगर थाना लगातार अखबारों की सुर्खियां बना हुआ है,कभी अचानक लगभग आधा दर्जन पुलिस कर्मियों के लाइन हाजिरी का मामला सुर्खियां बटोरता है तो कभी आरक्षक की आत्महत्या,अवैध बालू परिवहन ,अतिक्रमण,ट्रेफिक,शराब नीति का जमीनी स्तर पर अनुपालन,एक माह के अंदर 3 बड़ी चोरियां जैसी खबरें अखबारो मे नगर के थाने की कार्यशैली पर प्रश्न उठाते दिखते है,तो कभी इन सब खबरों की वजह लीगल नोटिस भेज कर मीडिया को रोकने की नाकाम कोशिश,ऐसी तमाम वजहें ह्लै जिनकी वजह से जिले में देवेंद्र नगर थाना आम जन चर्चा का विषय बना हुआ है।विगत दो दिनों से अखबारों में छाई खामोशी सायद पुलिस प्रशासन देवेंद्र नगर को पसंद नही आई इसलिए फिर कुछ ऐसा हुआ जो इन मशहूरियत पसंद को अखबारो मे आने का मौका मिला।
विगत दिनों 17 अप्रैल को देवेंद्र नगर एसबीआई के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग से दिन दहाड़े चोरों ने पूरी दिलेरी और फिल्मी अंदाज में नुनाही निवासी विजय बिलथरिया के 3 लाख रुपए पार कर दिए जिसमे चोरों की सकल कैमरे में कैद हो गई,फरियादी ने थाने में रिपोर्ट की पुलिस अधिक्षक को आवेदन दिया लेकिन नतीजा वही जांच चल रही है,थक हार कर फरियादी ने स्वयं चोरों की जानकारी लेने के लिए हाथ पैर मारना शुरू किया और 21 अप्रैल को उनके द्वारा थाना प्रभारी देवेंद्र नगर को चोरों का नाम पता गांव,जिला सहित बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई।पर जानकारी के बाद भी नतीजा सिफर रहा जिसे देखते हुए फरियादी ने मीडिया के सामने जाने का मन बनाया ही था की पुलिस प्रशासन देवेंद्र नगर द्वारा इन्हे मीडिया से संवाद न करने की सख्त हिदायत दी गई।आखिर थक हार कर फरियादी और उनके पुत्र ने मीडिया के कैमरे के सामने अपना दुखड़ा रोते हुए आरोप लगाए की पुलिस या तो चोरों से मिली हुई है या लापरवाह है जो इतनी जानकारी देने के बाद भी चोरों को नहीं पकड़ पा रही है,उन्होंने ही बताया की पुलिस प्रशासन ही उन्हे मीडिया के सामने घटना का जिक्र न करने के लिए दबाव बनाते है।
आने वाली 22 मई को गुनौर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का दौरा है सूत्रों की माने तो फरियादियो और समाजसेवकों द्वारा नगर प्रशासन से उठ चुके भरोसे के कारण अब मुख्यमंत्री के सामने अपनी व्यथा रखने की बात सामने आ रही है,
कुछ सवाल जो पुलिसिया कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाते है
1जब चोरों की जानकारी सामने है तो पकड़ने में देरी क्यों?
2 एक माह में तीन चोरियां लेकिन एक का भी खुलासा नहीं?
3 मीडिया से फरियादियों की दूरी बनवाने का क्या औचित्य?
4 जिला प्रशासन की खामोशी जानकारी के बाद भी, क्यों?
बहरहाल देवेंद्र नगर पुलिस की कार्यशैली को देखते हुए ये कहना तो मुस्किल ही लगता है की चोर जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे पर यदि नगर की पुलिस कार्यप्रणाली की चर्चा यदि प्रदेश के मुखिया के सामने जायेगी तो निश्चित ही नगर पुलिस प्रशासन की छीछालेदर होना तो तय है वैसे भी चुनाव का समर सामने देख जनता और मीडिया की नाराजगी शायद ही कोई जन नेता अपने सिर लेना चाहेगा।