गत दिवस कानपुर में आयोजित साहित्य समारोह में हुआ ग्वालियर के साहित्यकारों का सम्मान

  • May 31, 2023
  • Pushpanjali Today

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ग्वालियर। गत दिवस कानपुर में आयोजित साहित्य समारोह ,कवि अशोक गुप्त " अचानक " की नवीन कृति "सुख दरवाजे खड़ा हुआ" काव्य संग्रह के लोकार्पण पर ग्वालियर के तीन साहित्यकारों घनश्याम भारती,सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा एवं राम चरण  चिराड़" रुचिर " को आमंत्रित किया गया एवं शाॅल , श्रीफल  पुष्पहार  एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर  सभी का सम्मान किया गया।

              कार्यक्रम की अध्यक्षता  ए.के पद्मेश ने की, मुख्य अतिथि के रूप में गीत ऋषि सोम ठाकुर मंचासीन रहे। ग्वालियर के साहित्यकारों ने भी उनके साथ मंच साझा किया। पुस्तक के लोकार्पण पर साहित्यकारों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किए।

           गीतकार डॉ. सोम ठाकुर  ने उक्त अवसर पर पुस्तक पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा यह पुस्तक जीवन में घटित घटनाओं को लेकर कवि अशोक" अचानक" के सुंदर भावों का प्रकटीकरण है।इसी क्रम में उन्हें अपने गीत भी प्रस्तुत किए ।  ग्वालियर के साहित्यकारों में, सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा ने कहा,

"अशोक गुप्त अचानक की कृति " सुख दरवाजे खड़ा हुआ" आज के संदर्भ में अत्यंत समीचीन है। यह प्रयास तब सफल हो जाता है, जब पुस्तक का  प्रथम गीत मां को समर्पित होता है।  संसार में मां ही सबसे बड़ा सुख का आधार है। इस तरह कवि ने  मां को प्रथम  स्थान देकर  सुख को दरवाजे खड़े होने पर  वाध्य किया है।

     कवि राम चरण "रुचिर "ने पुस्तक पर अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा ,

       कवि अशोक गुप्त"अचानक " का  काव्य संग्रह "सुख दरवाजे खड़ा " उनके समग्र जीवन के घटनाक्रमों, अनुभवों, भारतीय परंपराओं के प्रकटीकरण, और अपने काव्य जीवन का परिचय देते हुए झन्झाबातों  के साथ अंतस के भावों , जीवन के अनुभवों, आदर्शों को प्रकट करता हुआ  सुंदर पुष्प गुच्छ की तरह सुसज्जित अनुपम काव्य कृति है।

  कवि अशोक गुप्त "अचानक"  को हार्दिक बधाई एवं साधुवाद।"

         कार्यक्रम का संचालन करते हुए ग्वालियर के गीतकार घनश्याम भारती ने भी अपने विचार प्रकट  करते हुए कहा,

"कवि अशोक  गुप्त "अचानक" की काव्य कृति सुख दरवाजे खड़ा हुआ के लोकार्पण पर भावभीनी शुभकामनाएं, यह काव्य संग्रह कविता के विभिन्न रंगों को समेटे हुए सकारात्मक मूल्यों की प्रेरणा देता है।"

         इस अवसर पर अनेक साहित्यकारों अपने अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार एवं गणमान्य जन  भारी संख्या में उपस्थित रहे। अंत में सभी का आभार प्रदर्शन  कवि अशोक गुप्त "अचानक "ने किया।

                      कार्यक्रम बहुत ही सराहनीय एवं अविस्मरणीय रहा।

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