श्रीमदभागवत कथा
बिरखड़ी मे 8 जून को हुआ श्रीकृष्ण और रूक्मणि का विवाह
बिरखड़ी - कथावाचक मुकेश जी महाराज ने बताया कि किस प्रकार कुब्जा का कल्याण किया, व कंसा का वध हुआ
उसके बाद जरासंध, मुकुचंद की कहानी से वह रूक्मणि हरण व विवाह तक का विस्तार से वर्णन किया। कथा व्यास पं. श्री मुकेश जी महाराज ने इस भव्य उत्सव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की श्री मद भागवत कथा जगत कारिणी और मंगल करिणी है, जो भी सच्चे मन व ह्रदय से कथा का श्रवण करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग आसान होता है। जो भी कोई इस पवित्र कथा का श्रवण करता है उसका उद्धार निश्चित है तथा जिस किसी के पूर्व में बुरे कर्म हों उसको इस कथा के श्रवण से उन बुरे कर्म से मुक्ति मिलती है। यह कथा इतनी पावन है की इसके श्रवण से मनुष्य का भूत, भविष्य तथा वर्तमान तीनो के बुरे कर्मों से निवृत्त होकर सतमार्ग में मन लगता है तथा मनुष्य के उद्धार व मोक्ष के लिए मार्ग निश्चित होते है।
रासलीला व विवाह में पंडाल में उपस्थित पूरा जनसमुदाय आनंद से झुम उठा। समस्त बिरखडी वासियों का निवेदन है कि यह कथा अत्यंत पवित्र और शांति प्रदायक है इसलिए सभी मानव जन को कथा सुनने के लिए आग्रह किया है।