स्वयंसेवकों ने किया वीरांगना
प्रणाम
ग्वालियर। देश की स्वतंत्रता के लिए वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने बलिदान देकर समाज को एक प्रेरणा दी है। भारत को पुन: विश्व गुरू बनाने के लिए हमें नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और गौरवशाली इतिहास से परिचित कराना चाहिए।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लश्कर जिला के संघचालक प्रहलाद सबनानी ने वीरांगना लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित सामुदायिक भवन में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर महानगर के स्वयंसेवकों ने झांसी की रानी को प्रणाम किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मप्र उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीके पालीवाल ने की। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर विभाग के संघचालक विजय गुप्ता भी मंचासीन थे। मुख्य वक्ता श्री सबनानी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में त्याग को महत्व दिया गया है। कैकई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कैकई भी वीरांगना थी। कैकई ने दशरथ के प्राणों की रक्षा की थी, लेकिन उन्होंने अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपने बेटे भरत के लिए राजगद्दी और श्रीराम के लिए वनवास मांगा। वहीं रानी लक्ष्मीबाई ने देश के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी। इतने काल बाद भी कोई भी अपनी बेटी का नाम कैकई रखना पसंद नहीं करता है, जबकि अपनी बेटी का नाम मनु और लक्ष्मी रखकर गौरव महसूस करते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री पालीवाल ने रानी लक्ष्मीबाई के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब अंग्रेजों ने दामोदर राव को दत्तक पुत्र के रूप में अस्वीकार कर झांसी को अंग्रेजी राज्य में मिलाने की घोषणा की तो वीरांगना ने कहा कि मैं झांसी नहीं दूंगी। रानी लक्ष्मीबाई ने घमासान युद्ध कर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे और मात्र 23 वर्ष की उम्र में राष्ट्र की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं।