ग्वालियर । कृष्णा विहार, थाटीपुर ग्वालियर स्थित "श्री हनुमान सत्संग धाम" में गत दिवस" गुरु पूर्णिमा " के उपलक्ष्य में "काव्य संध्या " का आयोजन किया गया। कार्यक्रम व धाम संरक्षक के रुप में महामंडलेश्वर संतोष गुरुजी इस अवसर पर सदन में व्यासपीठ आसन पर विराजमान रहे।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम सरस्वती वंदना कवियत्री उमा उपाध्याय ने सुमधुर स्वर में प्रस्तुत की। तत्पश्चात् कवियों द्वारा काव्य क्रम को आगे बढ़ाया गया। काव्य पाठ करने वालों में सर्व श्री सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा, जगदीश गुप्त महामना, रविंद्र नाथ मिश्र, रामचरण "रुचिर", दिनेश विकल , के के पांडे ,आरती अक्षत , संजुलता शर्मा, जगमोहन श्रीवास्तव, उमा उपाध्याय ,राजीव सक्सेना, संचालक साजन ग्वालियरी ने एवं अंत में आशीर्वचन देते हुए काव्यपाठ महामंडलेश्वर संतोष गुरुजी ने भी किया।
इस अवसर पर सदन के वयोवृद्ध सदस्य श्री पाण्डेय जी , सचिव "श्री हनुमान सत्संग धाम "द्वारा गुरुजी के निर्देशानुसार सभी कवियों एवं साहित्यकारों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन कवि साजन ग्वालियरी ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन संतोष गुरुजी ने कार्यक्रम की सफलता पर सभी का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में अनेक संख्या में श्रद्धालु श्रोता गण एवं सभ्रांत नागरिक उपस्थित रहे। इस अवसर पर जो काव्य पाठ किया गया ,उसके काव्यांश इस प्रकार हैं।
अपनी धरती माँ से मिलने बादल आए हैं।
सूरज की तपन मिटा कर ठंडक लाये हैं।
*दिनेश "विकल"*
आर्यवर्त संश्कृति,दुनियाँ की सान थी ,
धरती के सारे राष्ट्र,सीस को नवाते थे !
श्रृष्टि का 'उतकृष्ट' रूप,भारत में देखने को,
विश्व के रचियेता,नर देह धरि आते थे !!
*जगमोहन श्रीवास्तव*
पशुवत प्रवृत्तियों का करो ,देह में दमन।
अंतस में ज्योति जल से करो ,नित्य आचमन l
*उमा उपाध्याय*
करोगे क्या किसे अर्पण, हकीकत सामने होगी जो देखोगे सही दर्पण ।
*राजीव सक्सेना राज*
गुरु की कृपा है अमित, सदा नेह का वास।
मानव जीवन धन्य है, गुरु हैं अपने पास ।।
*कवि रामचरण "रुचिर "*
अपने अपने दल हैं सबके, अपने अपने झंडे हैं ।
अपनी किस्मत में तो भैया जीरो पावर का लट्टू ,उनके दरवाजे पर लटके ,
हैलोजन के हंडे हैं।
*कवि साजन ग्वालियरी*
आजकल कोयला कारखानों में खो गया है, मिट्टी के तेल का भाग्य सो गया है,गैस के दाम रोज रोज बढ़ रहे हैं, नए नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं।
*कवि के के पांडे*
मिल ना पाए जो तुमसे अलग बात है दर्द चलता रहा एक घड़ी की तरह ।
*डॉ. रवींद्र नाथ मिश्र*
नित्य निशा शाश्वत् चांदनी जीवन छंद सुनाती है ।और भये रवि ललित लालिमा नवजीवन दे जाती है ।
*जगमोहन श्रीवास्तव*
गुरू बिना मिलता नहीं, हमें कभी भी ज्ञान।
जग में होता इसलिए ,गुरुओं का सम्मान।।
*आरती अक्षत*
पशुवत नर है ज्ञान बिन.
ज्ञान गुरु से होय ।
जब सुख भोगत तब तरिय
हिय गुरु पद रख जोय ।
*संजुलता शर्मा*
जागरण के गीत गाता फिर रहा हूं
मैं मसानों को जगाता फिर रहा हूं
आगई आग,आंचल तक, उठो!अब
मैं मसानों को जगाता फिर रहा हूं
आगई आग,आंचल तक, उठो!अब
स्वर सावधानी के उठाता फिर रहा हूं
*महामना जगदीश*
पूजन कर मानव ने ऋण को चुकाया है
गुरुओं की महिमा अपार है अनंत है
पग पग पर गुरुओं ने रास्ता दिखाया है
प्रथम गुरु माता ही होती सँसार में
जिसने निज चक्षुओं से जग को दिखाया है।
*सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा*
कार्यक्रम के शीर्षक्रम में संतोष गुरुजी ने सभी की इस आयोजन पर बहुत-बहुत सराहना करते हुए शुभाशीष प्रदान किया और आध्यात्मिक गतिविधियां एवं सत्संग धाम में निरंतर आयोजन के लिए सभी का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने भी काव्य पाठ करते हुए कहा,
"गुरुदेव के चरणों में शीश झुकाया है गुरुदेव की महिमा को वेदों ने गाया है। गुरु तत्व है जग जग में को जो रूप समाया है ।सतगुरु ही है सच्चा यह ज्ञान बताया है।"
*महामंडलेश्वर संतोष गुरुजी*
इसके पश्चात् ही उनके द्वारा आभार प्रदर्शन कर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई। कार्यक्रम में संस्था के वरिष्ठ सदस्य आर के पांडे, हरीश उपाध्याय,आत्मा राम पाठक , हरी मोहन शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, श्री अग्रवाल, शिक्षाविद शशिकांत द्विवेदी, गणेश प्रसाद मिश्रा, तत्पश्चात सभी ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।
कार्यक्रम बहुत ही सराहनीय एवं अविस्मरणीय रहा।