संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट
गरियाबंद जिला मैनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत झरगांव सरपंच सचिव के कारनामों की पोल एक एक कर सामने आते दिख रहे हैं , पहले लाखों गुहार के बावजूद ग्रामीणों को बदबूदार कीचड़ मे रहने को मजबूर करने का तो अब वही कचरे और कीचड़ को साफ करने 15वीं वित्त से राशि का बिल लगाने का।
इस खेल के भागीदार आखिर कौन कौन हैं..?? क्या सफाई के नाम पर लाखों रुपए का बिल लगाकर 15वीं वित्त राशि को आसानी से लूटा जा सकता है..?? या इस फैशन शो के दर्शक ही इसके पीछे का कारण है। बेशर्मी का चोला पहने जिम्मेदारों को जरा भी जिम्मेदारी का एहसास नहीं कि जाकर ग्रामीणों का हाल जाने और समस्या का सूध ले। झरगांव सरपंच सचिव ने 15वी वित्त कि राशि सफाई के बिल लगा भी दिये और अधिकारियों को पता भी नहीं, ऐसा संभव नहीं है या तो सब पता है जिनके मेहरबानी से यह सब हो रहा है या फिर वो अंधे हैं जो उन्हें बदबूदार कीचड़ मे रह रहे मजबूर ग्रामीण नहीं दिख रहे।पंचायतों को साफ पानी और स्वच्छता के लिए 15वीं वित्त से लाखो रुपये का सशर्त अनुदान स्वीकृत होता है। सरकार का प्रयास होता है कि गांवों में इन सेवाओं को सुनिश्चित करने और इस प्रकार की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा जीवन की गुणवत्ता पर अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 15वें वित्त आयोग से जुड़े अनुदान से ग्राम पंचायतों को उनकी सुनिश्चित जलापूर्ति और स्वच्छता संबंधी योजनाओं को लागू करने के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध कराया जाता है किंतु ग्राम पंचायतें ‘सेवा वितरण’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थानीय ‘सार्वजनिक सेवाओं’ के रूप में महत्वपूर्ण कार्य करना छोड़ बिल पे बिल लगाकर जिम्मेदारों के साथ मिल कर इसे डकार रहें है। परिणाम यह हो रहा है कि गांव गंदगी और बदबूदार किचड़ से लतपथ है और उसी किचड़ के बदौलत जिम्मेदार अपने अपने कुर्सी पर आराम फरमाते दिख जायेंगे। मालूम पड़ता है किचड़ मे कमल खिलने का इंतजार है जिसे लेकर अपने दफ्तरों में सजायेंगे, सरपंच से इस विषय मे संपर्क करने कि कोशिश की गई किंतु संपर्क नहीं हो सका और सचिव से सम्पर्क किए हो जायेगा बोल कर घुमाया जा रहा है लेकीन आज सफाई नहीं हुई है।