संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट
गरियाबंद जिले के अंतर्गत धर्म नगरी ग्राम अमलीपदर में विराजमान श्री जगन्नाथ जी जो अमलीपदर नगर का ह्रदय स्थल के नाम से जाना जाता श्री मंदिर हमारे गर्वित मातृभूमि के पत्रकार टीम जब पं युवराज पांडेय जी से मुलाकात हुई और टीम ने पुछा की अधिक मास क्या है और इस माह का महत्व क्या है इस पर श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित युवराज पांडेय जी ने बताया कि इस साल दो माह की श्रावण मास पड़ रहा है और इसमें ही अधिक मास पड़ रहा है जिसे पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है बता दें आप सभी को की 18 जुलाई दिन मंगलवार पुष्य नक्षत्र से 16 अगस्त दिन बुधवार श्लेषा नक्षत्र अमावस्या तिथि तक पुरुषोत्तम मास है इस वर्ष पुरुषोत्तम माहत्म्य में तो भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं इस अधिक मास को श्रेष्ठ और अपना नाम देकर इस माह में दान, जप, यज्ञ, तीर्थ स्थल में वास,भगवन नाम स्मरण करने पर मनुष्य चार पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है और भव सागर से स्वत: ही पार हो जाता है और जन्म मृत्यु के चक्कर से मुक्त हो जाता है और ब्रह्म में लीन हो जाते हैं इस वर्ष भी पं युवराज पांडेय जी श्री जगन्नाथ मंदिर में पुरूषोत्तम मास पर भगवान जी के विशेष पूजा अर्चना कर रहे जिसमें भगवान श्री जगन्नाथ जी को आठ पहर प्रतिदिवस स्तुति , जप, यज्ञ एवं वेद पुराण का पठन-पाठन किया जाता है प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त पर श्री मंदिर का पट खोला जाता है और पंच ध्वनि वेद मंत्रों से महाप्रभु का पुजा अर्चना किया जाता है पंडित युवराज पांडेय जी द्वारा महाप्रभु जगन्नाथ जी के पुजन, नाम जप और यज्ञ के साथ त्रिकाल संध्या के साथ इस पुरे पुरुषोत्तम मास पर एक माह निराहार व्रत धारण किए हुए जिसमें वे भगवान श्री जगन्नाथ जी के निर्माल्य के अलावा कुछ ग्रहण नहीं करते हमारी टीम ने जब पुछा कि ऐसा कठोर नियम क्यों महराज जी तो श्री मंदिर के पुजारी पंडित युवराज पांडेय जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि जन कल्याण विश्व शांति हेतु यह व्रत है सब सुखी रहे सब निरोग रहे एवं विश्व शांति बनी रहे इस प्रकार श्री जगन्नाथ जी से यही प्रार्थना है मेरी यह मास सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला व्रत है इसका माहात्म्य सुनने वाला भी मोक्ष के अधिकारी हो जाते हैं।