संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट
देवभोग - आज 5 सितंबर को शिक्षक दिवस देवभोग सरस्वती शिशु मंदिर में बहुत ही सम्मान पूर्वक से मनाया गया। शिक्षक दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बाल संस्कार समिति के अध्यक्ष - लक्ष्मीनारायण अवस्थी जी को आमंत्रित किया गया था, आज के इस कार्यक्रम का नेतृत्व स्कूल के प्राचार्य नरेशचंद्र साहू जी के द्वारा सफल क्रियान्वयन हेतु , अपने संस्था के समस्त आचार्यों को स्कूली बच्चों ने शिष्य को अपने गुरु के प्रति क्या -क्या उत्तरदायित्व , कर्तव्य,व शिष्यवृतान अनुकरण करना चाहिए इस संबंध में बच्चों को प्रेरणा दिया गया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्कूल के प्राचार्य नरेशचंद्र साहू जी ने आज अपने स्कूली बच्चों को गुरु कि महिमा को सुन्दर ही रौचक ढंग से मधुर वाणी में आलोचना करते हुए कहा ,कि गुरु यानी अज्ञान के अंधकार से ज्ञान प्रकाश की ओर ले जाने वाला बच्चे को नैतिकता, ईमानदार,दया और नम्रता के रास्ते पर स्थापित करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी जाती है। क्यों कि उनके जैसा कोई और बच्चों को प्रभावित कर सकता है।अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने वाले गुरु को भगवान का दर्जा दिया जाता है। हमारे जीवन में गुरु का बड़ा महत्व है, इस कारण हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत का प्रथम व्यक्ति है जो कि शिक्षक बना और वह देश का प्रथम उपराष्ट्रपति एवं पूर्व राष्ट्रपति, विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का आज जन्मदिन है, उन्हीं के आज जन्म दिन के अवसर पर प्रति वर्ष 5 सितंबर 1888 को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।शिक्षक दिवस पर देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को प्रोत्साहित और उन सभी शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों में जीवन को भी समृद्ध बनाया है।5 सितंबर को शिक्षक दिवस पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में उपस्थित लंकेश्वरी बाल संस्कार समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण अवस्थी के करकमलों द्वारा भारत देश के भूतपूर्व उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छायाचित्र को पुष्प अर्पित व सिंन्दुर, अगरबत्ती आदि से पूजा आराधना करते हुए अपने स्कूली बच्चों को प्रेरणा देते हुए कहा कि, शिक्षक और शिष्य में घनिष्ठता संबंध बनाएं रखना चाहिए गुरु शिष्यों के प्रति सरल स्वभाव,मिठी भाषा में बर्ताव किया जाना चाहिए, और शिष्य को अपने गुरु कि सदैव स्तुति ,व आज्ञा का पालन करना चाहिए, गुरु कि कभी निंदा नहीं करनी चाहिए। हमेशा ईमानदार से कर्तव्य का पालन करना चाहिए। तथा गुरु के साथ नम्रता पूर्वक व्यवहार कुशल बनाए रखना। गुरु स्कूल में शिक्षा देते है, उसे ध्यान से अनुकरण करना,यह शिष्य का परम कर्तव्य है।कभी भी गुरु को अवहेलना नहीं करना चाहिए।इन तमाम बातों को यदि छात्र अपने दिनचर्या जीवन में उतार लिया गया, तो छात्र आगे बढ़ने में कोई भी मुसीबत हो या संकट रोक नहीं पाएगा, छात्र का उज्जवल भविष्य सवर जाएगा, तथा समाज बीच में रहकर सब के साथ आंनद ओर
सुखी जीवन निर्वाह होती है।
आज शिक्षक दिवस समारोह कार्यक्रम में उपस्थित बाल संस्कार समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण अवस्थी, विशिष्ट अतिथि नरेन्द्र कुमार साहू प्रार्चाय, मनोज रघुवंशी प्रधानाचार्य, समिति के पदाधिकारी सुधीर पटेल, राजेश अग्रवाल,विजय मिश्रा, लक्ष्मी कांत बेहेरा,सूर्यमान यादव, विद्यालय के समस्त आचार्य एवं दीदीयां, उपस्थित थे।