स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से प्रेरणा लेकर सृजन करें युवा साहित्यकार दिलीप मिश्रा

  • Sep 13, 2023
  • Pushpanjali Today

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ग्वालियर। मध्य भारतीय हिंन्दी साहित्य सभा ग्वालियर के तत्वावधान में गत दिवस" युवा साहित्यकार गोष्ठी "का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शहर के वरिष्ठ कथाकार श्री दिलीप मिश्रा जी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि राजहंस त्यागी  एवं सभा का प्रतिनिधित्व सह मंत्री  उपेंद्र कस्तूरे ने किया।

       अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया गया। मां सरस्वती की वंदना पलक सिकरवार ने एवं कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार शिवम सिसोदिया ने किया। संयोजक डॉ करुणा सक्सेना ने सभी का स्वागत किया एवं युवा साहित्यकार गोष्ठी आयोजित करने के लक्ष्य की ओर सभी का ध्यान केंद्रित किया। गोष्ठी के सहसंयोजक रामानुज पाराशर ने पुष्प भेंट कर सभी का स्वागत किया।

    अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में  दिलीप मिश्रा  ने सभी युवा साहित्यकारों को शुभाशीष देते हुए सार्थक लेखन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा यदि युवा साहित्यकार स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से प्रेरणा लेकर लेखन कार्य करेंगे तो निश्चित ही इस देश का भविष्य बहुत ही उज्जवल होगा। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राजहंस त्यागी  ने सभी युवा साहित्यकारों को व्याकरण, उच्चारण एवं प्रस्तुतीकरण पर मार्गदर्शन दिया।

     गोष्ठी में  राजेश अवस्थी "लावा" , व्यक्ति उमड़ेकर, रामानुज पाराशर, शिवम सिसोदिया, पलक सिकरवार, अभिषेक व्यास, दिव्यांश जैन, विकास बघेल, बृजेश कुशवाह सहित शहर के अनेक युवा साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। अंत में साहित्य सभा की साहित्य मंत्री डॉ. मंदाकिनी शर्मा  ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं युवा साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया।

       कार्यक्रम में किए गए काव्य पाठ के काव्यांश इस प्रकार रहे।


"श्री कृष्ण ही सत्य है मनुज नही है सत्य

इसी सत्य से अनजान आज का मानव है संत्रप्त"।

             र*दिलीप मिश्रा*


"मां का समर्पण शब्दों में कौन कह सकता है

जो मन सहती है और कौन सह सकता है।

                   *राजहंस त्यागी* 


"नेह के बान नहीं जन छूटत, प्रेम के बान रहे पग धारे

देह के बान रहे बिसरे मन, जीवन जीवन जीव पुकारे"।

              *रामानुज पाराशर*


"बरसों का कोई विरही मयूरा, पुनः नाचने लगता है।

आतप पीड़ित तृषित पपीहा, मेघ ताकने लगता है"।

       ‌ *शिवम् सिंह सिसौदिया*


"खुद पर गर्वित होंगे हम भी 

एक दिन चर्चित होंगे हम भी"।

               *विकास बघेल*


"मति मथ मथ मंथन करते, रामम रामम फिर जपते जपते

जपते जपते वे न थकते, राम जिनके मन बसते"।

            *बृजेश कुशवाह*


उपवन उपवन भटकत है मृग

गीतातीत सुगंध के शोध में है मन।

             *व्याप्ति उमड़ेकर*


"प्रेम ये आधा रहा और अर्ध की कविता बनी

कूबड़ी न रुक्मणि न राधा सी ललिता बनी।

              *पलक सिकरवार*


"मैं हिंदी का हूं वक्ता आप हिंदी के हैं श्रोता हमको गुमान होना चाहिए, हमको अपनी मातृभाषा पर अभिमान होना चाहिए"।

                 *अभिषेक व्यास*


"जो नहीं है वह होने की होड़ में कहीं खो ना जाए यह अंतकरण"

                 *दिव्यांश जैन*

       इसी प्रकार अन्य युवा साहित्यकारों ने भी अपनी श्रेष्ठ प्रस्तुति दी कार्यक्रम बहुत ही सराहनीय एवं रोचक रहा

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Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक