ग्वालियर। इंदरगंज, लश्कर ग्वालियर स्थित "महाराष्ट्र समाज भवन" ग्वालियर के तत्वावधान में गत दिवस"गणेश जी के पंडाल" में आयोजित "काव्य संध्या" में मराठी एवं हिन्दी काव्य रचनाओं की एक से बढ़कर एक पर प्रस्तुति हुई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार रामचरण चिराड़ "रुचिर " रहे। अध्यक्षता डॉ . शरद टोणपे ने की। कार्यक्रम का संयोजन वेंकटेश बलवंत वाकडे ने किया एवं कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ कवयित्री कुंदा जोगलेकर ने किया।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा गणेश जी की मूर्ति पर दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्पहार अर्पित किया गया । सरस्वती वंदना व्यक्ति उमड़ेकर ने प्रस्तुत की। अतिथियों के स्वागत के पश्चात् कवियों एवं कवित्रियों ने मराठी एवं हिन्दी में काव्यपाठ किया।
काव्य पाठ करने वालों में रवीन्द्र टेम्बे, मोरेश्वर डोंगरे, डॉ ईश्वर चंद करकरे,अरुण गिजरे, अशोक सिरढोणकर, हरि धारकर, कादंबरी आर्य, व्याप्ति उमड़ेकर, एवं पुरंदरे आदि ने सुंदर काव्य रचनाओं की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर मोरेश्वर डोंगरे ने काव्य पाठ करते हुए कहा, " गण राया आले। मोदकाचा प्रसाद तील कुटिचा वास।" सिंहासनावर विराजले गणराया आले। डॉ . ईश्वर चंद्र करकरे ने राग माल कंस में स्वरचित रचना "गणराज गणराज पुजितो मन भावे,उदक दधि शुद्ध स्नान घालोनि" प्रस्तुत की। संयोजक व्यंकटेश बलवंत वाकडे ने हास्य रचना " पुरषाचे जीवन असएच असते।" सुनाई। हरि धारकर ने अरुणोदय, अरुण गिजरे ने हिन्दी रचना"ये प्रभु राम का है वतन।" सुनाई। अशोक सिरढोणकर ने आई मला एक बायको आण" सुनाई। इसके साथ ही कादंबरी आर्य, राजेंद्र टेम्बे , व्याप्ति उमड़ेकर, विशाखा तलेगांवकर आदि एवं संचालन कर रहीं कुंदा जोगलेकर ने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत कीं।
इस अवसर पर महाराष्ट्र समाज के नितिन बालंवे, अविनाश कर्पे, पंकज नाफड़े, सचिन घोटकर, दिलीप जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया।
इसी क्रम में मुख्य अतिथि रामचरण "रुचिर "ने महाराष्ट्र समाज द्वारा शाॅल, स्मृति चिन्ह एवं पुष्पहार भेंट कर सम्मानित किया गया। उन्होंने इस आयोजन में "काव्य संध्या" एवं गणेशोत्सव पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए "महाराष्ट्र समाज" को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर उन्होंने मराठी भाषा में अपने भाव व्यक्त किए और गणेश वंदना के श्लोकों के साथ ही दोहे प्रस्तुत किये ,उन्होंने कहा,
गणपति की आराधना मन में भरे उमंग।
विघ्न हरण से कामना, भरें प्रेम के रंग।।१
गणपति की पूजा करें , श्रद्धा भक्ति समेत ।
जीवन में सुख शांति हो , विघ्न दोष हर लेत।।२
उन्होंने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा, " एक तरफ तो खाई है गहरी, दूजी ओर कुंआ है।
जीवन के पथरीले पथ पर चलना कठिन हुआ है।"
इसके पश्चात् अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए डॉ. शरद टोणपे ने सभी महाराष्ट्र समाज को संबोधित करते हुए इस आयोजन पर अति प्रसन्नता व्यक्त किया भविष्य में यह आयोजन संभाव्यता से किए जाने का भी आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने बहुत ही सुंदर मराठी रचनाओं की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार, गणमान्यजन एवं महाराष्ट्र समाज के अनेक साहित्यकार इत्यादि उपस्थित रहे।
सभी ने कार्यक्रम का आनंद लिया। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन संस्था प्रमुख नितिन वालंबे जी ने किया ।
अंत में श्री गणेश जी की आरती के पश्चात् सभी ने प्रसादी ग्रहण की।