तीन दिवसीय ज्ञान प्रबोधनी व्याख्यानमाला का समापन

  • Oct 04, 2023
  • Pushpanjali Today

news_image

जीजाबाई से प्रेरणा से लेकर निष्ठा के साथ राष्ट्रोत्थान में हों सहायक: मैत्रेयी

ग्वालियर। जिस प्रकार जीजाबाई ने अपने पुत्र छत्रपति शिवाजी महाराज को संस्कार और शिक्षा देकर स्वराज्य की स्थापना करवाई, उसी तरह मातृशक्ति निष्ठा के साथ राष्ट्रोत्थान में सहायक हो।

यह आह्वान राष्ट्रसेविका समिति पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत की बौद्धिक प्रमुख सौ.मैत्रेयी शिरोलकर ने सोमवार को नई सडक़ स्थित राष्ट्रोत्थान न्यास भवन के तराणेकर सभागार में तीन दिवसीय ज्ञान प्रबोधनी व्याख्यानमाला के समापन समारोह में मुख्य वक्ता की आसंदी से किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.शिराली रुनवाल ने की। इस अवसर पर न्यास के सचिव अरुण अग्रवाल भी मंचासीन रहे। राष्ट्रोत्थान न्यास ग्वालियर के तत्वावधान में प्रेरणापुंज जीजाबाई विषय पर व्याख्यान देते हुए मुख्य वक्ता मैत्रेयी शिरोलकर ने कहा कि मातृशक्ति प्रबल होती है। जीजाबाई के समय मुस्लिम आक्रांता आए दिन हिन्दुओं पर अत्याचार करते थे। दिन दहाड़े हिन्दू लड़कियों का अगवा कर उनके साथ अत्याचार किए जाते थे। यही नहीं हमारे मंदिरों को भी नष्ट कर आग लगाकर जमकर लूटपाट जारी थी। इससे हिन्दू समाज आत्म ग्लानि के साथ आत्मविश्वास खो बैठा था। इस समस्या से निजात के लिए जीजाबाई ने बचपन से ही स्वराज्य की स्थापना करने की प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने अपने पुत्र शिवाजी को बचपन से ही रामायण और महाभारत के प्रसंग सुनाकर संस्कार, मानवता,रणनीति, और युद्धकौशल की शिक्षा दी। बुद्धिमान जीजाबाई स्वधर्म की रक्षा और हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के लिए इतनी सतर्क थीं कि बचपन में उन्होंने विरोधियों से बचाने के लिए शिवाजी को गुप्त स्थान पर रखा। जीजाबाई से प्रेरित होकर शिवाजी ने अपने साथियों के साथ 15 साल की उम्र में उंगली काटकर शिवजी का रक्ताभिषेक कर हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के लिए प्रतिज्ञा ली। संभाजी की अफजल ने हत्या कर दी थी। उसका बदला लेने के लिए जीजाबाई ने शिवाजी को प्रेरित किया। उनकी सिखाई युद्धनीति से शिवाजी ने अफजल का वध कर बदला लिया। जीजाबाई और छत्रपति शिवाजी ने जनता का विश्वाश हासिल कर हर नागरिक के मन में यह भावना जाग्रत की मैं रहूं न रहूं यह स्वराज्य रहना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में व्याख्यानमाला की प्रस्तावना न्यासी श्रीकांत विटवेकर ने प्रस्तुत की। व्यक्ति गीत प्रतीक्षा तांबे ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन प्रतीक्षा तांबे द्वारा प्रस्तुत वंदेमातरम गीत के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रेक्षा नाईक एवं आभार राष्ट्रोत्थान न्यास के कोषाध्यक्ष नंदकिशोर अग्रवाल ने व्यक्त किया। 

बॉक्स

कौशल्या की तरह बच्चे को बनाएं राम

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.शिराली रुनवाल ने कहा कि मां के समान कोई छाया नहीं, उसके समान कोई जीवन दाता और मार्गदर्शक भी नहीं है। मातृशक्ति अपने बच्चों का कौशल्या की तरह लालन-पालन कर राम बनाएं। साथ ही यशोदा की तरह कृष्ण और जीजाबाई की तरह छत्रपति शिवाजी महाराज बनाएं। अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से बच्चों को नैतिकता और कर्तव्यनिष्ठा की शिक्षा दें। उन्होंने अभिमन्यु का उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चों पर गर्भ के समय से ही मां के व्यवहार और वातावरण का प्रभाव पड़ता है। इसलिए गर्भधारण दौरान सद्साहित्य का अध्ययन करें।

COMMENTS

ARTICLES BY AUTHOR

Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक