चने पर लगने वाले उकठा रोग पर नियंत्रण करना जरुरी

  • Nov 29, 2023
  • Pushpanjali Today

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   सतना जिले के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सोहावल के खेतों में डायग्नोस्टिक विजिट के दौरान चना की फसल फ्युजेरियम विल्ट एवं कालर राट से प्रभावित देखी गई है। जो चने की खेती को नुकसान पहुंचा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि चने में फ्युजेरियम विल्ट (उकठा रोग) लग जाने के बाद इसको पूरी तरह से नियंत्रित कर पाना कठिन है। लेकिन इसके रोगजनक फंफूदी को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। इसके नियंत्रण के लिये कृषक टेबुकोनाजोल 25.9 प्रतिशत ईसी 250 एमएल अथवा टेबुकोनाजोल 39.9 प्रतिशत ईसी 250 एमएल अथवा प्रोपीकोनाजोल$डाईफेनोकोनाजोल 27.8 प्रतिशत ईसी 250 एमएल अथवा टेबुकोनाजोल$ट्राईफ्लोक्सिस्ट्राबिन 75 प्रतिशत डब्ल्यूजी 150 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ प्रभावित फसल पर छिड़काव/ड्रेंचिंग करना सुनिश्चित करें। कृषकों को सलाह दी गई है कि जिन क्षेत्रों में चना की फसल उकठा रोग से प्रभावित है और नमी की कमी भी है। वहां सिंचाई से पूर्व थायोफनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम अथवा कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 12 से 15 किग्रा बालू अथवा यूरिया के साथ मिलाकर भुरकाव कर सिंचाई करना सुनिश्चित करें।

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Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक