बेंगलूरू। मुनि राजपद्मसागरजी मुनि श्रमणपद्मसागर जी की पावन मिश्रा में आज श्री शीतलनाथ श्वेतांबर मंदिर की आज ध्वजारोहण प्रसंग पर अनेक श्रद्धालु परमात्मा की जय जयकार बुलाते हुए श्री शीतल नाथ दादा की ध्वजा लहराई मुनि राजपद्मसागरजी महाराज साहब ने बहुत ही सुंदर तरीके से परमात्मा की भक्ति का अर्थ समझाते हुए कहा की तीर्थंकर परमात्मा की भक्ति करने से तीर्थंकर नामकरण उपार्जन करते हैं। जिस प्रकार रावण ने परमात्मा की अष्टापद तीर्थ पर भक्ति की थी और उन्होंने तीर्थंकर नाम कर्मों उपार्जन किया था वैसे ही जिस प्रकार से सत्तरभेदी पूजा के अंदर नवमी पूजा में ध्वज पूजा बतलाई है और ध्वजपूजा करते-करते जिस प्रकार ध्वज चारों दिशा के अंदर लहराती है। इस प्रकार अपना जीवन भी उत्तरोत्तर आगे बढ़ता है और यश नाम कर्म बंद होता है और आज मुनि राजपद्मसागरजी एवं मुनि श्रमणपद्मसागरजी की आगामी 2024 का चातुर्मास श्री शीतल नाथ जैन मंदिर ट्रस्ट में चामराजपेट में उद्घोषणा की।