महासमुंद जिला में उच्च न्यायालय और नर्सिंग होम एक्ट के सारे नियमों को ताक में रखकर झोलाछाप डॉक्टरों की डॉक्टरी खूब शबाब में है ।इसकी गोरख धंधा नियमो को पार कर चुकी है सरकार ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है। इस एक्ट में अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों पर कार्रवाई का प्रावधान है, मगर इसके बाद भी जिले में बड़ी संख्या में अवैध रूप से क्लीनिक, पैथोलेब व नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे हैं। नर्सिंग होम एक्ट अंतर्गत निर्धारित मापदण्डों पर खरा उतरने के बाद ही निजी अस्पताल संचालकों को लाइसेंस जारी किया जाता है।
शासन ने नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है, जिसमें ऐसे डॉक्टर ही क्लीनिक संचालन कर सकेंगे जो शासन के गाईड लाइन का पालन करते हों। एक्ट के मापदण्डों के अनुसार जिले में मात्र एमबीबीएस डॉक्टर ही नियम व शर्तो के अनुसार क्लीनिक का संचालन कर सकते हैं। वहीं कई लोग पैरामेडिकल कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से क्लीनिकों का संचालन भी कर रहे हैं जबकि इसके लिए वे अधिकृत नहीं है। बावजूद इसके बागबाहरा छेत्र के ग्राम भटोरा में गजानंद सिन्हा नाम का झोला छाप डॉक्टर मरीजों के लिए आफत बन गया है ,जो अवैध रूप से क्लिनिक संचालन कर मरीजों से मनमानी राशि वसूल रहे हैं न तो इसके पास इलाज संबंधी न कोई डिग्री है न कोई डिप्लोमा है, और न ही स्वास्थ विभाग से इलाज संबंधी कोई दस्तावेज है ,उसके बावजूद भी खुले आम अवैद्य क्लीनिक संचालन कर मरीजों को मौत के मूंह में धकेल रहे है बाजूवद इसके स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध रूप से संचालित निजी अस्पताल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है।