रितेश कटरे ब्युरो चीफ पुष्पांजलि टुडे बालाघाट
ग्रामीण क्षेत्रों में शराबबंदी वास्तव में गांव की सरकार का बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला हो सकता है। सिर्फ शराब की वजह से कई सारी जिंदगी या कई सारे परिवार बर्बाद हो जाते हैं। यदि गांव एवं समाज में शराबबंदी कर दी जाए तो गांव और समाज का बदलता स्वरूप वास्तव में देखने योग्य होगा।
और इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए जिले की लांजी तहसील के विभिन्न गांवों में शराबबंदी की मुहिम जिला पंचायत सदस्य ज्योति ईश्वर उमरें के नेतृत्व में छेड़ी गई है। और इसी कड़ी में ग्राम पंचायत घोटी घुसमारा में नवनिर्वाचित सरपंच श्रीमती कमला संजय घोरमारे के मार्गदर्शन में नशामुक्त ग्राम समिति का गठन किया गया। जिसका उद्देश्य गांव में अवैध एवं चोरी चुपके बिक रही शराब पर प्रतिबंध लगा कर गांव को सुसज्जित, सुसंस्कृत एवं शराब मुक्त ग्राम बनाना था, और धीरे धीरे गांव में बिक रही अवैध शराब पर समिति की महिलाओं के द्वारा अंकुश लगाकर सफलता भी हासिल कर लिया था किन्तु शराबबंदी से बौखलाएं अज्ञात अवैध शराब कारोबारियों एवं उनके नुमाइश गुर्गों के द्वारा 1 दिसंबर की रात्रि में ग्राम पंचायत की दीवार पर अभद्र भाषा एक कागज में लिखकर चिपका दिया गया जिसमें ग्राम की सरपंच के अलावा समिति के सदस्यों के लिए अनुचित शब्दावली का प्रयोग किया गया था, जिसको लेकर पंचायत के सभी सदस्यों एवं नशा मुक्ति समिति के सभी सदस्यों में आक्रोश है। जिसको लेकर ग्राम पंचायत भवन में 3 दिसंबर को बैठक संपन्न की गई, और उक्त शरारत करने वाले शरारती तत्वों की पहचान कर कानून को सौंपने का फैसला लिया गया। कहीं ना कहीं गांव में शराबबंदी सफल होने से ऐसा कृत्य करना समझ आ रहा है, फिलहाल यह जांच का विषय है कि ऐसा अशोभनीय कृत्य किसने किया और क्यों किया।
शराबबंदी से गांव का बदला स्वरूप
शराबबंदी से गांव और समाज का स्वरूप बदल गया है, गांव का हर वह नौजवान जो अपने गांव को आगे बढ़ते हुए देखना चाहता है जो अपने गांव को शराब से मुक्त करना चाहता है यही चाहता है कि हमारा समाज शराब से मुक्त हो सके उसमें शराबबंदी जैसे फैसले लिए जाएं तो गांव और समाज के नौजवान एक अच्छी राह पर चल सकेंगे, वह अपना समय कई ऐसे क्षेत्रों में लगा सकेंगे जिनके जरिए वह अपना विकास कर सकेंगे। अक्सर देखा जाता था कि शराब के नशे की वजह से बहुत से लोग ऐसे होते थे जो अपनी आधी कमाई से भी ज्यादा इस नशे में बर्बाद कर डालते हैं और परिवार वालों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं गांव की गलियों में गालियों की बौछार कर देते थे किन्तु शराबबंदी से इन सब बातों पर अंकुश लग गया था। फिलहाल शराबबंदी समिति ने स्पष्ट किया है कि वे ऐसे कृत्यों से डरने वाले नहीं हैं, गांव में शराबबंदी लागू रहेगी।