जर्जर भवन में ‘करप्शन’ का पिलरः छात्रावास का अधूरा काम कराकर अफसर और ठेकेदार ने डकारी मोटी रकम, अब धूल फांक रहा भवन, अंधकार में भविष्य

  • Dec 06, 2022
  • Lekhraj Chakradhari Gariyaband

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✍️संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट


 गरियाबंद. 6 दिसम्बर को सीएम देवभोग पहुंच रहे हैं, जिस वन धन केंद्र से सभा को वो सम्बोधित करेंगे ठीक उसके 100 मीटर आगे 100 सीटर जर्जर छात्रावास दिखाई देगा. 1 करोड़ से ज्यादा लागत से बना 100 सीटर कन्या छात्रावास जर्जर हाल में पड़ा है.जिसे 2016 में अधूरा बनाने के बाद अब तक किसी जिम्मेदार ने पलट कर नहीं देखा.


बता दें कि, राज्य के पीछड़े अंचल में बेटियों के शिक्षा को बढ़ावा देने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय ने प्रदेश में 100 सीटर आवासीय विद्यालय खोलने की योजना बनाई. 2016 में निर्माण के लिए 1 करोड़ 12 लाख की मंजूरी भी मिली. राज्य के लोक निर्माण विभाग को निर्माण की जवाबदारी मिली. जो काम दो साल में पूरा हुआ.



वहीं प्राक्कलन के मुताबिक मंजूर राशि मे नीचे अध्ययन कक्ष और ऊपर आवासीय कमरे का निर्माण होना था. ठेका कम्पनी ने किसी तरह नीचे का काम पूरा किया, ऊपर केवल पिलर खड़े किए ,जो बनाया गया उसकी गुणवत्ताहीन था. भवन विधिवत हेंडओवर हुआ नहीं. योजना के तहत किसी तरह वहां केवल कक्षाएं लगाई गई. छात्रावास के नाम पर भर्ती भी की गई. वहीं 2020 तक भर्ती छात्राएं कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में रहकर पढाई भी की, हालांकि 2021 में दोनों को मर्ज कर दिया गया. लेकिन गुणवत्ताहीन भवन का दंश आज भी विद्यालय को झेलना पड़ रहा है.


पलट कर नहीं देखा विभाग

उस समय के जो अफ़सर थे ठेकेदार के साथ साठगांठ कर आधा अधूरा भवन बनाकर दूसरे जगह चले गए. दोबारा जो भी आए उन्हें पता ही नहीं की ऐसा कोई भवन भी पीडब्ल्यूडी ने बनाया है. नतीजतन विभाग द्वारा समय-समय पर कराए जाने वाले मरम्मत कार्य की सूची में 100 सीटर छात्रवास का नाम नहीं आता. विभाग के नए एसडीओ मोहित साहू भी इस भवन से अनभिज्ञ हैं. उन्होंने कहा कि, हैंडओवर जिस विभाग ने लिया नियमानुसार उन्हें मरम्मत कराना था. फिर भी कोई खामी है तो इसे देखता हूं. अफ़सरों से मार्ग दर्शन लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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