प्रमेश अवस्थी देवभोग पंडित सुंदर लाल शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे मैं पदमा दुबे उनकी प्रपौत्री हूँ और आज उनके जयन्ती के अवसर पर अपने दादा स्व चन्द्रशेखर शर्मा के मुख से सुनी पंडित सुन्दर लाल शर्मा जी की कुछ यांदे साझा कर रही हूँ पण्डित सुंदर लाल शर्मा का जन्म स्थान प्रयाग राज राजिम से 5 किलो मीटर की दूरी पर है जहाँ उनका जन्म हुआ पंडित सुंदर लाल शर्मा का जन्म 21 दिसम्बर सन 1881 में हुआ छत्तीसगढ़ में जनजागरण तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत रहे वे कवि समाजसुधारक इतिहासकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लेखक चित्रकार बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे उन्हें छत्तीसगढ़ का गांधी भी कहा जाता है शर्मा जी नाट्यकला मूर्ति कला चित्रकला में पारंगत थे प्रहलाद पदावली करुणा पच्चीसी सतनामी भजन माला जैसे ग्रन्थो के रचयिता थे इनकी छत्तीसगढ़ही दानलीला छत्तीसगढ़ का प्रथम लोकप्रिय प्रबंध काव्य है छत्तीसगढ़ की राजनीति व देश की स्वतंत्रता आंदोलन में उनका ऐतिहासिक योगदान है उन्होंने 18 ग्रन्थ लिखे जिनमे 4 नाटक 2 उपन्यास शेष काव्य रचनायें है राजिम में 1907 में सस्कृत पाठशाला व रायपुर में सतनामी आश्रम की स्थापना की तथा 1904 में राजिम में वाचनालय की स्थापना की 1910 में राजिम में प्रथम स्वदेशी दुकान खोला 1920 में कंडेल नहर सत्याग्रह के सूत्रधार रहे कंडेल नहर सत्याग्रह में गांधी जी को पहली बार छत्तीसगढ़ लाने का श्रेय पण्डित सुंदर लाल शर्मा को जाता है 1998 में उनकी कविताएं रसिक मित्र प्रकाशित हुई वे चित्रकार और मूर्ति कार भी थे नाटक भी लिखते थे रंगमंच में उनकी गहरी रुचि थी वे कहते थे कि नाटक के माध्यम से समाज मे परिवर्तन लाया जा सकता है असहयोग आंदोलन के दौरान छत्तीसगढ़ से जेल जाने वालों में आप प्रमुख थे पंडित जी जीवन बहुत ही अनुकरणीय था दानलीला उनके द्वारा लीक गया प्रथम छत्तीसगढ़ही ग्रन्थ था पण्डित जिददेव जनहित सुर समाज सेवा के कार्यो में रत रहे इन सब गतिविधियों में उन्हें अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता था मगर जब तक उनकी स्वास चलती रही वे लड़ते रहे अंग्रेजों के खिलाफ समाजिक कुरीतियों के खिलाफ पण्डित सुंदर लाल शर्मा ने अपने गृह ग्राम चद्रसूर में 28 दिसबंर सन 1940 को अंतिम सांस ली छतीसगढ़ की गौरव गाथा पण्डित सुंदर लाल शर्मा के बिना हमेशा अधूरी हैपंडित सुंदर लाल शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे मैं पदमा दुबे उनकी प्रपौत्री हूँ और आज उनके जयन्ती के अवसर पर अपने दादा स्व चन्द्रशेखर शर्मा के मुख से सुनी पंडित सुन्दर लाल शर्मा जी की कुछ यांदे साझा कर रही हूँ पण्डित सुंदर लाल शर्मा का जन्म स्थान प्रयाग राज राजिम से 5 किलो मीटर की दूरी पर है जहाँ उनका जन्म हुआ पंडित सुंदर लाल शर्मा का जन्म 21 दिसम्बर सन 1881 में हुआ छत्तीसगढ़ में जनजागरण तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत रहे वे कवि समाजसुधारक इतिहासकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लेखक चित्रकार बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे उन्हें छत्तीसगढ़ का गांधी भी कहा जाता है शर्मा जी नाट्यकला मूर्ति कला चित्रकला में पारंगत थे प्रहलाद पदावली करुणा पच्चीसी सतनामी भजन माला जैसे ग्रन्थो के रचयिता थे इनकी छत्तीसगढ़ही दानलीला छत्तीसगढ़ का प्रथम लोकप्रिय प्रबंध काव्य है छत्तीसगढ़ की राजनीति व देश की स्वतंत्रता आंदोलन में उनका ऐतिहासिक योगदान है उन्होंने 18 ग्रन्थ लिखे जिनमे 4 नाटक 2 उपन्यास शेष काव्य रचनायें है राजिम में 1907 में सस्कृत पाठशाला व रायपुर में सतनामी आश्रम की स्थापना की तथा 1904 में राजिम में वाचनालय की स्थापना की 1910 में राजिम में प्रथम स्वदेशी दुकान खोला 1920 में कंडेल नहर सत्याग्रह के सूत्रधार रहे कंडेल नहर सत्याग्रह में गांधी जी को पहली बार छत्तीसगढ़ लाने का श्रेय पण्डित सुंदर लाल शर्मा को जाता है 1998 में उनकी कविताएं रसिक मित्र प्रकाशित हुई वे चित्रकार और मूर्ति कार भी थे नाटक भी लिखते थे रंगमंच में उनकी गहरी रुचि थी वे कहते थे कि नाटक के माध्यम से समाज मे परिवर्तन लाया जा सकता है असहयोग आंदोलन के दौरान छत्तीसगढ़ से जेल जाने वालों में आप प्रमुख थे पंडित जी जीवन बहुत ही अनुकरणीय था दानलीला उनके द्वारा लीक गया प्रथम छत्तीसगढ़ही ग्रन्थ था पण्डित जिददेव जनहित सुर समाज सेवा के कार्यो में रत रहे इन सब गतिविधियों में उन्हें अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता था मगर जब तक उनकी स्वास चलती रही वे लड़ते रहे अंग्रेजों के खिलाफ समाजिक कुरीतियों के खिलाफ पण्डित सुंदर लाल शर्मा ने अपने गृह ग्राम चद्रसूर में 28 दिसबंर सन 1940 को अंतिम सांस ली छतीसगढ़ की गौरव गाथा पण्डित सुंदर लाल शर्मा के बिना हमेशा अधूरी है