पर्यावरण और राष्ट्रीय विकास में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका

  • Dec 28, 2022
  • Khangarram Choudhary

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पर्यावरण और राष्ट्रीय विकास में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका                                                                              

                                                                                                                                                            पुष्पांजलि टुडे से जिला ब्यूरो चीफ हरिचरण प्रजापति

                                                                                                                                                             छत्रसाल महाविद्यालय में इतिहास विभाग में राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित


125 से अधिक शोधार्थियों ने इसमें सहभागिता की


देश के प्रमुख इतिहासकारों अपने शोध पत्रों का वाचन किया


छत्रसाल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय शोध वेबीनार का आयोजन  किया गया। इस वेबीनार का विषय था- पर्यटन और उसकी ऐतिहासिकता: पर्यावरण और राष्ट्रीय विकास के संदर्भ में।

इस राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता  डॉ. ए‌के खरे ने की। वर्चुअल मोड पर आयोजित इस वेबिनार के मुख्य अतिथि महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ टीआर थापक थे, जबकि इस आयोजन के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा विभाग सागर संभाग के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक  थे।  इस वेबीनार की संयोजक डॉ उषा मिश्रा प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष इतिहास तथा सहसंयोजक डॉ एसके पटेल सह प्राध्यापक इतिहास थे।इस आयोजन के आयोजन सचिव डॉ विनय श्रीवास्तव सह प्राध्यापक इतिहास थे। प्रारंभ में संयोजक डॉ उषा मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय की रूपरेखा प्रस्तुत की। आयोजन सचिव डॉ विनय श्रीवास्तव ने सचिव प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए प्रस्तावित विषय की प्रासंगिकता और इसे राष्ट्रीय महत्व का बताया।

इस राष्ट्रीय शोध वेबीनार के कीनोट एड्रेस प्रमुख वक्ता वरिष्ठ इतिहासविद् एवं सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रोफेसर सुरेश मिश्रा भोपाल थे। अपने कीनोट एड्रेस में प्रोफेसर मिश्रा ने वन्य प्राणियों और पर्यावरण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उसे पर्यटन के लिए एक मुख्य आकर्षण का केंद्र बताया। प्रोफेसर मिश्रा ने मंडला के राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न पशु पक्षियों और वन्य प्राणियों पर अपने व्यक्तिगत सर्वेक्षण और शोध निष्कर्षों को तथ्य पूर्ण रुप से व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पशु पक्षियों और वन्य प्राणियों की मूक भाषा होती है, जो पर्यटकों को सहज अपनी ओर आकर्षित करते हैं। डॉ हरिशंकर गौर विश्वविद्यालय सागर के इतिहास विभाग के अध्यक्ष और लेखक डॉ बी के श्रीवास्तव ने पर्यटन की ऐतिहासिकता को  रेखांकित करते हुए उसे राष्ट्रीय परिपेक्ष्य और विकास का मुख्य साधन बताया। मध्यप्रदेश शासन पर्यटन विभाग के डायरेक्टर डॉ मनोज सिंह ने विद्यार्थियों में पर्यटन के प्रति रुचि जागृत करने का आवाहन करते हुए इसे रोजगार उन्मुखी पाठ्यक्रम बताया, और इसकी व्यापक ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला। गवर्नमेंट कॉलेज सतपुली, उत्तराखंड के प्राचार्य एवं इतिहास के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर संजय कुमार ने विषय को परिभाषित करते हुए इसकी सूक्ष्म मीमांसा प्रस्तुत की और राष्ट्रीय विकास तथा पर्यावरण के संदर्भ में पर्यटन की उपयोगिता पर व्यापक चर्चा की। प्रोफेसर संजय कुमार ने पर्यटन की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे अनिवार्य विषय के रूप में महाविद्यालय में पढ़ाए जाने पर जोर दिया तथा वर्तमान संदर्भ में इसे रोजगार का एक प्रमुख साधन बतलाया। होशंगाबाद की शासकीय नर्मदा महाविद्यालय की प्राध्यापक एवं इतिहास की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर हन्सा व्यास ने पर्यटन और इसकी उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए। शासकीय केआरजी स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय ग्वालियर की प्रोफेसर मीना श्रीवास्तव ने क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही, जिससे रोजगार के नए अवसर विकसित होंगे। शासकीय राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर की इतिहास की विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक डॉ उषा अग्रवाल ने इतिहास और पर्यटन की प्रासंगिकता को अन्योन्याश्रित बताते हुए इसे वर्तमान रोजगार का एक प्रमुख साधन बताया। शासकीय विवेकानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय नीमच के समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय जोशी ने पर्यटन को एक सामाजिक आवश्यकता निरूपित करते हुए इसे समाज के सभी वर्गों से जोड़ने का आह्वान किया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय अमरकंटक के इतिहास के सहायक प्राध्यापक डॉ मोहनलाल चढ़ार ने क्षेत्रीय पर्यटन की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे राष्ट्रीय विकास का एक प्रमुख भाग बताया।

इस कार्यक्रम में लगभग 125 प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया। महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी इस कार्यक्रम से भारी संख्या में जुड़े हुए थे। अपने उद्देश्यों में यह वेबीनार पूर्ण रूप से सफल रहा तथा पर्यटन के विविध आयामों पर इस वेबीनार में व्यापक चर्चा की गई और शोध निष्कर्ष निकाले गए। कार्यक्रम के अंत में सह संयोजक डॉ एस के पटेल ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। संपूर्ण कार्यक्रम 3 सत्रों में आयोजित किया गया, जिसका सफल संचालन आयोजन सचिव डॉ विनय श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

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