दिल्ली में बाइक टैक्सी बैन, 1 लाख बेरोजगार:लोग बोले- बच्चे भूखे होते हैं तो सही-गलत नहीं दिखता, अब क्या फांसी लगा लें

  • Mar 09, 2023
  • Pushpanjali Today

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मैडम मेरा नाम सुनील कुमार है। मैं अपनी कहानी बताऊं, तो मैं पहले कैब चलाता था। मेरी अपनी कैब थी। कोरोना के वक्त बेचनी पड़ी, क्योंकि बच्चों की फीस भरनी थी। मेरे पास पुरानी बाइक थी, मैं उसे बाइक टैक्सी के तौर पर चलाने लगा। घर किसी तरह संभला था, अब सरकार ने बाइक टैक्सी बैन कर दी।'

'अब बच्चों की फीस कहां से दूं, उन्हें कैसे पढ़ाऊं। बेटा 12वीं में है, क्या उससे कहूं कि तुम भी काम करो, क्योंकि मेरे पास काम नहीं है। उम्र हो गई है, तो कोई जॉब भी नहीं देगा। समझ नहीं आ रहा क्या करूं, अब फांसी लगा लूं क्या।’

47 साल के सुनील ये बात गुस्से में कहते हैं, लेकिन इसमें बेबसी ज्यादा छिपी है। दिल्ली सरकार ने 20 फरवरी को एक आदेश जारी किया, जिसमें लिखा था कि निजी बाइक का कॉमर्शियल यूज नहीं किया जा सकेगा, अगर कोई ऐसा करते पाया गया तो 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगेगा।

इस आदेश से दिल्ली में बाइक टैक्सी चलाने वाले 80 हजार से 1 लाख लोगों की हालत सुनील जैसी हो गई। वे कहते हैं कि खाने तक का पैसा नहीं है। बच्चे भूखे रोते हैं, ऐसे में कुछ सही गलत नहीं दिखता।

ये सर्विस इस्तेमाल करने वाले लोग भी परेशान हैं। इसकी दो वजहें है- पहली बाइक टैक्सी ऑटो या कैब के मुकाबले बहुत सस्ती होती है। इनका किराया कैब से एक चौथाई और ऑटो से लगभग आधा होता था। दूसरी कि दिल्ली के जाम में ये कम समय में मंजिल तक पहुंचा देती थीं।

​​​​​​बिना इन्वेस्टमेंट वाला काम था, कमाई भी अच्छी
कोरोना के दौरान जिनका काम छिन गया, घर में खड़ी बाइक उनके लिए रोजगार हो गई। बहुत से लोग जो कुछ और नहीं कर पा रहे थे और जिनके पास बाइक थी, उन्होंने बाइक राइड सर्विस देने वाले ऐप पर आईडी बनाई और ये काम शुरू कर दिया। इसमें कोई खर्च भी नहीं आया और रोज 5 सौ रुपए तक कमाई हो जाती।

'दो हफ्ते से कोई काम नहीं किया, कुछ दिन में खाने के लाले हो जाएंगे'
ये सर्विस बंद होने के बाद मैंने उन लोगों से बात की, जो बाइक टैक्सी से अपना परिवार चला रहे थे। सबसे पहले मुझे 53 साल के वेद प्रकाश मिले। वे तीन साल से बाइक टैक्सी चला रहे थे। वेद प्रकाश कहते हैं, ‘परिवार में 5 लोग हैं। उनका खर्च कैसे उठाऊं।'

'पहले रोज 700-800 रुपए कमा लेता था। इतने में घर चलाना मुश्किल था, लेकिन फिर भी चल तो रहा था। बाइक टैक्सी बंद हुई तो, सब रुक गया। अब इस उम्र में और क्या काम करूंगा? 10वीं तक पढ़ा हूं। तीन बच्चे हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं। अगर मैं कोई काम नहीं कर पाया, तो उनकी पढ़ाई रुक जाएगी।

12 हजार में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल रही है, पर कर नहीं सकता’
2020 में कोरोना आने के बाद से कई परिवारों के लिए मुश्किल वक्त शुरू हुआ। उनके काम-धंधे बंद हो गए। चीजें बेचकर घर की जरूरतें पूरी करनी पड़ीं। सुनील कुमार भी उनमें से एक हैं। वे कहते हैं, ‘महामारी का वक्त बहुत मुश्किल था। मुझे अपनी टैक्सी बेचनी पड़ी।'

'उसी दौरान मैंने डीटीसी बस पर बाइक टैक्सी का एड देखा। मैंने बाइक चलानी शुरू कर दी। अब बाइक टैक्सी बंद होने से दोबारा वहीं खड़ा हूं। अच्छा है कि दिल्ली में मेरा अपना घर है। नहीं तो, सड़क पर आ गया होता। मेरे पास अब कोई काम नहीं है।’

‘दिल्ली सरकार का कहना है कि उसे बाइक टैक्सी सर्विस चलाने के बारे में बहुत जानकारी नहीं थी, अब पता चला है कि इससे 1988 के मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन होता है, इसलिए इसे बैन किया जा रहा है। इतने साल से इस सर्विस पर सरकार 5% GST ले रही थी। ऐसे में सरकार की दलील समझ नहीं आती।’

दो हफ्ते से खाली बैठे सुनील कहते हैं, ‘नौकरी के लिए कई जगह बात की, 12-14 हजार से ऊपर और सिक्योरिटी गार्ड के अलावा कोई नौकरी मिल नहीं रही है। मेरी उम्र ऐसी हो गई है कि मैं 12 घंटे कहीं बैठकर लगातार काम नहीं कर सकता। बाइक टैक्सी चलाने में ये सहूलियत थी कि मैं अपने हिसाब से काम कर पाऊं। परिवार और काम को बराबर टाइम दे पाता था।’

‘हम जो काम करते हैं, उससे हमें गिग वर्कर (काम के हिसाब से पेमेंट पाने वाले) कहते हैं। यानी हम अपने हिसाब से काम करते हैं। मैं एक हफ्ते से घर बैठकर इंटरनेट पर यही रिसर्च कर रहा हूं। दुनिया के सभी देशों और भारत के दूसरे शहरों में बाइक टैक्सी चल रही है। दिल्ली सरकार ने ही इसे बंद कर दिया है।

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Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

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आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक