संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट
देवभोग 14 साल से 50 प्रतिशत विगलांग संतोष नागेश को सरकार की एक भी योजना का लाभ नही मिल पाया है। संतोष की शौच से लेकर तमाम दिनचरिया कार्य संतोष की मां के भरोसे होता है। मामला ब्लॉक के अंतिम छोर कोड़की पारा का है जहां संतोष पिता छनसिंग नागेश जन्म से पैर की 50 प्रतिशत विगलंगता से ग्रसित है लेकिन आज तक सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल सका संतोष नागेश को ।संतोष चाहता है कि उसे विगलांग पेंशन मिले और ट्राई साइकिल ताकि घुटना रगड़ कर चलने से बचे। सहारा के लिए बैसागी तक नसीब नही हो पाया है।
राज्य सरकार की तमाम योजना से संतोष वंचित हैं। पेंशन एवम ट्राई साइकिल की अतिआवश्यकता हैं। संतोष की मां ने बताया कि विकलांग बेटे संतोष का जीवन पिछले 14 साल से खटिया पर ही गुजर रहा है।सरकार द्वारा ट्राई साइकिल या बैसागी नही मिलने के कारण संतोष की शुरुवाती पढ़ाई भी नही हो सकी जबकि संतोष चाहता है कि पढ़ाई कर कुछ बनने का इच्छा जाहिर किया। शारीरिक विकलांगता के कारण संतोष अपनी इच्छा को दबाते हुए मजबूरी बताया। आर्थिक स्थिति इतनी गंभीर है कि संतोष के लिए ट्राईसाईकिल खरीदना मानो सपना जैसा है। ग्राम पंचायत में पेंशन के लिए कई बार आवेदन किया गया जा चूका लेकिन अब तक किसी भी प्रकार का भी अब तक लाभ नहीं मिल पाया। ट्राईसाईकिल के लिए भी गुहार लगाया गया लेकिन आज तक गुहार पर कोई पहल नहीं हो पाया और स्थिति इतनी भी मजबूत नहीं कि ब्लॉक मुख्यालय तक संतोष पंहुच सके और अधिकार की बात कर या अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी पीड़ा सुना जा सके। संतोष और मां का भरण पोषण के लिए पिता ने पलायन का रास्ता अपनाया और राज्य से बाहर जाकर मजदूरी के सहारे परिवार को पालने का जिम्मेदारी उठाया। किसी तरह संतोष के पिता द्वारा पैसा भेजने पर राशन पानी लिया जाता है व संतोष का खर्चा किस तरह उठाया जा सके उसके लिए संघर्ष अब तक जारी है। शायद यही वजह है कि संतोष स्वास्थ्य अधिकारियों से इलाज और जनपद अधिकारी से. ट्राईसाईकिल के इंतजार में नजर गड़ाए अब तक कोने मे पड़ा हुआ है। लेकिन देवभोग प्रसाशन ईतना संवेदनहीन हो चुका है कि एक विकलांग के दर्द का अहसास तक महसूस नहीं कर पा रहा है