गरियाबंद जिला मैनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अमलीपदरमें बड़ी धूम धाम से शोभा यात्रा के साथ मनाया गया हनुमान जन्मोत्सव इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हनुमान मंदिर से संकीर्तन मंडली के साथ भव्य शोभा यात्रा प्रारंभ कर गांव के हुए हनुमान मंदिर पहुंचे यह शोभायात्रा 2 किलोमीटर तक की गई जिसमें बड़ी संख्या में बाल कन्याएं एवं महिलाएं यात्रा में शामिल हुई एवं बजरंग दल के द्वारा श्री हनुमान जी का जोर शोर से नारा लगाया वीर बजरंगी के उद्घोष से अमलीपदर का पूरा माहौल भक्ति मय नजर आया । शोभायात्रा के पश्चात श्री हनुमान मंदिर में विधि विधान से मंत्रोच्चारण कर हनुमान जी का पाठ किया गया एवं वीर बजरंगी श्री हनुमान जी का आरती कर प्रसाद वितरण किया गया एवं भंडारा दिया गया। इस मंदिर के मुख्य पुजारी रिंकेश मिश्रा विक्की ज्ञानचंदानी सुनील अवस्थी श्री जयंत दुबे राजेश मिश्रा अनिल अवस्थी प्यारेलाल दुबे सेवन लाल दुबे आयुष दुबे चिराग ठाकुर अविनाशभोसले डुग्गू ठाकुर हरसु जैन आशीष मिश्रा पुरन साहू मंजीत साहू बंसी साहू बंसी साहू दामोदर साहू भूदेव तिवारी उत्तम तिवारी गिरीश तिवारी नितिन तिवारी सुभाष पाण्डे गजानंद यादव पवन ठाकुर भरत मिश्रा चंदू यादव डिंकू यादव पोखराज यादव अनीश निषाद सोनू यादव अभिषेक पांडेय अजय निषाद मोहन प्रधान निक्की ताम्रकार गौतम चन्द जैन अक्षत दुबे मोच्छ मिश्रा शुभ दुबे आदि शुक्ला आर्यन शुक्ला योगी तिवारी कृष्णा तिवारी दीवंद्र तिवारी मनीष सिन्हा दिनेश सिन्हा आचार्य देवनारायण त्रिपाठी पी टी न्यूज़ से अश्वनी कुमार अवस्थी
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सुबह 12 बजे से जन्मोत्सव का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन से किया गया। जिसके बाद पूजन-अर्चन हुआ। पंडित श्री रिंकेश मिश्रा जी ने हनुमान जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उनके शक्ति एवं श्रीराम के साथ किए गए सहयोग का उल्लेख किया। प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि माता सीता के सिर पर लगे सिदूर के बारे जब जानना चाहा, तो माता ने कहा कि ये भगवान राम को प्रिय है। उनके दीर्घायु जीवन कामना के लिए लगाती हूं। इस पर हनुमान जी ने कहा कि जब भगवान को अति प्रिय है सिदूर, तो क्यों न हम पूरे शरीर पर सिदूर का लेपन कर लूं, जिससे भगवान पर किसी भी प्रकार का कष्ट न आए और वह दीर्घायु बने रहे। सुबह में मंदिर पर पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भक्तों ने हनुमान जी की पूजा-अर्चना की। बाद में प्रसाद वितरण किया गया एवं भंडारा आयोजित किया।