अखिल भारतीय साहित्य परिषद्', मध्य भारत प्रांत द्वारा आयोजित 'क्रांति तीर्थ अभियान' के अंतर्गत फिर "एक प्रयास संस्था" और "साहित्य अध्ययन" के संयोजन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर जी एवं समकालीन क्रांतिवीरों का स्वतंत्रता की क्रांति में अमूल्य योगदान विषय पर बौद्धिक वैचारिक एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन कंपू स्थित टकसाल स्कूल पर किया गया। जिसमें शिखा सिकरवार, आराध्य शर्मा, प्रियांशु कुशवाह, पलक सिकरवार, रामसेवक राठौर, रजनीश नरवरिया, हरदीप सिंह, मुस्कान कुशवाह, कल्पेश प्रजापति, प्रदीप सेंगर, हेमंत कुमार, हिमांशु शर्मा, प्रदीप कुशवाह, आरती श्रीवास्तव आदि वक्ताओं ने क्रांतिकारियों पर ओजस्वी और देशभक्ति से भरे हुए भाषण दिये। कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं को सम्मान पत्र भी प्रदान किये गये।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. कुमार संजीव जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. करुणा सक्सेना जी, फिर एक प्रयास संस्था से पं. अंकित शर्मा जी, साहित्य अध्ययन से शिवम् सिंह सिसौदिया और द लाइव रोस्ट्रम से अनुराग सिंह उपस्थित रहे।
ये रचनाएँ रहीं आकर्षण का केंद्र -
1. क्रांतिवीरों की कुर्बानी को अपने शब्दों ने लिख सकूं इतना ऊँचा कद नहीं मेरा।
दो पंक्तियाँ लिखीं हैं सम्मान में उनके उन्हें कोटि कोटि नमन है मेरा।।
- पलक सिकरवार
2. स्वातंत्र्य वीर वह सावरकर गोरों के गाल तमाचा था।
वह यौवन बलिदानी अंग्रेज़ी फण फणीश पर नाचा था।।
- शिवम् सिंह सिसौदिया
3. वह धीर धरा पर नाद था
वह गूंज उठा सैलाब था।
था मातृभूमि का रक्षक वो
वह वीर बड़ा बलवान था।।
- हर्षिता कुलकर्णी
4. तुम शान हो वतन की गीता कुरान हो तुम।
सैनिक नहीं हो केवल भारत के प्राण हो तुम।
तुमसे ही है हमारी हस्ती तो इस जहाँ में,
तुम बस शहीद हो या हिंदोस्तान हो तुम।।
- हिमांशु शर्मा
5. हमारे वीर दुनिया में अलग स्थान रखते हैं।
अधर पर ये तिरंगे का अमर यशगान रखते हैं।
किया करते इबादत ये भले ही धर्म की अपने,
मगर दिल में हमेशा ही ये हिन्दुस्तान रखते हैं।।
- आरती श्रीवास्तव "अक्षत"
6. मैं कोटि कोटि नमन करता हूं
ऐसे वीरों की जवानी को।
जिन्होंने तन मन धन सब कुछ
सौंप दिया हो भारत माता को।।
- दीपक सिंह
7. शब्द पुष्प है अर्पित करके
नमन उन्हें ये कलम है करती।
धन्य हुआ है भारत जिनसे
धन्य हुई है ये धरती।।
- विकास बघेल
8. सच्चे सपूत भारत माता के वो अपना सब कुछ भूल गए।
माता की बेड़ियों को तोड़ने वो हंसकर फंसी पर झूल गए।।