बेंगलुरु: मंगलवारी चतुर्थी को जप-ध्यान दान का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है इसीलिए संत श्री आशारामजी आश्रम ट्रस्ट द्वारा 23 मई (मंगलवारी चतुर्थी) निमित्त जन सेवा अनाथाश्रम, गुब्ब्लाला झील के पास, तुराहल्ली फ़ोरेस्ट, बेंगलुरु में भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वहां के बच्चों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गये, उन्हें ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा योग व उच्च संस्कार कार्यक्रम के साथ जीवनोपयोगी कुंजियाँ भी बताई गई, कार्यक्रम के अंत में बच्चों में ट्रस्ट की तरफ़ से भोजन- प्रसादी, नोटबुक, आश्रम द्वारा प्रकाशित सत्साहित्य और स्टेशनरी मटेरियल आदि का वितरण किया गया। पूज्य बापूजी बताते है की- बाल्यकाल से ही बच्चों में अच्छे संस्कार जगें तथा दिव्यता का झरना उनके जीवन में बहे, विश्व-मांगल्य की भावना भरे इसीलिए उन्हें हँसते-खेलते महानता के संस्कार, अपनी योग्यताओं को विकसित करने के अवसर बच्चों को सहज में ही मिलें। माता-पिता का आदर आदि संस्कारों के साथ बुद्धि का विकास, शरीर की तंदुरुस्ती, मन की प्रसन्नता तथा छुपी हुई शक्तियों को जागृत करने की कला उनको सीखने को मिलें इसलिए बालसंस्कार बच्चों को मिलते रहना चाहिये।