हनुमान सत्संग धाम की मासिक काव्य गोष्ठी हुई संपन्न

  • Jun 07, 2023
  • Pushpanjali Today

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ग्वालियर ।  कृष्णा विहार , थाटीपुर,ग्वालियर स्थित  "हनुमान सत्संग धाम " में गत दिवस महामंडलेश्वर श्री संतोष गुरुजी के सानिध्य में एक मधुर "काव्यगोष्ठी"का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  हरीश उपाध्याय  रहे।

        सर्वप्रथम मां सरस्वती की वंदना कवियत्री उमा उपाध्याय ने मधुर स्वर में प्रस्तुत की। तत्पश्चात् संयोजक साजन ग्वालियरी ने सभी  कवियों व अतिथियों का  परिचय कराया व   सदन में उपस्थित वरिष्ठ सदस्यों द्वारा कवियों को पुष्पहार भेंट कर  स्वागत किया गया। कार्यक्रम में सहभागी रहे साहित्यकार दिनेश   "विकल " , जगमोहन श्रीवास्तव  ,अनिल राही ,राम लखन शर्मा "अंकित", गीतकार प्रदीप पुष्पेंद्र, रामचरण " रुचिर",  सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा ,डॉ रवीद्र नाथ मिश्र, रवि सक्सेना, साजन ग्वालियरी एवं अंत में सभी को आशीर्वचन देते हुए महामंडलेश्वर श्री संतोष गुरुजी ने सराहनीय काव्य पाठ किया। 

      सभी कवियों ने भी ने एक से बढ़कर एक सुंदर काव्यपाठ कर सदन को गरिमामय बना दिया।

कार्यक्रम में प्रस्तुत की गई रचनाओं के कुछ काव्यांश इस प्रकार हैं।


बन के सब का मैं खास रहता हूँ।

उनकी धड़कन के पास रहता हूँ।

                   *दिनेश विकल*


वो चंद खिलौने मिट्टी के जो,

दरिया का रुख मोड़ गए ।।

               *जगमोहन श्रीवास्तव*


आज आनंद बरसा है गुरुधाम में,

भीगे सत्संग के सागर में सारा चमन l

धन्य जीवन हुआ शुद्ध हुई आत्मा ,

रोशनी का खजाना मुझे मिल गया l

                    *उमा उपाध्याय*


ना हूँ में कोई भाग्यविधाता, ना भविष्यवक्ता।

सबके अंदर जो बैठा है,वो ही सब कुछ करता।           

                    *अनिल राही*


हरियाली गायब हुई, उजड़ गए वन बाग।

 बारिश के जल के बिना, सूखे नदी तड़ाग ।। 

     एवं

कबीर जन्म दिवस पर उन्हें  समर्पित दोहा,

   " कबिरा वाणी जगत में,

             है  नीकी सत्मूल ।

 सदा राह सच्ची चले ,

              राह दिखा अनुकूल ।।

               *राम चरण "रुचिर"*


देखो अपना मन बुहारकर रख लेना,

किसी समय भी आज देवता आयेगा।"

                         *प्रदीप पुष्पेन्द्र*


 अब काय परे गैर के द्वारे,

कैसी नीकी सार तुम्हाई ,तापे तारो डारे

निज भाषा पे चढ़े  मुसीका,

फूटे ए बी सी के पीका,

भये अंग्रेजी वारे ।    

        *सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा*


हाथ पुराना खत आया अनजाने में।

खुशबू जैसे लोग मिले अनजाने में।

                *डाॅ. रवींद्र नाथ मिश्र*


सभी जगह अफरा तफरी है , कोई मेनेजमेंट नहीं।

राजनीति के इस जंगल में, कुछ भी तो डीसेंट नहीं।

                 *साजन ग्वालियरी*

सभी की प्रस्तुति के पश्चात् महामंडलेश्वर श्री संतोष गुरुजी ने सबको आशीर्वचन दिया एवं इस कार्यक्रम में सहभागिता करने वाले सभी साहित्यकारों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी आध्यात्मिक रचना इस प्रकार प्रस्तुत की।


"करमन की गति आगे आकर तुझको घेरेगी ।

बिना भजन भगवान के तेरी नैया डूबेगी।। "          

 *महामंडलेश्वर श्री संतोष गुरुजी*

          इस अवसर पर अनेक श्रोतागण  एवं भक्त गण पंडाल में उपस्थित रहे।

         कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार प्रदर्शन मुख्य अतिथि  के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक हरीश उपाध्याय ने किया।

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Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक