गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता ज्ञान दाता -अर्जुन को किसकी* शरण में जाने के लिए कह रहा है
गया जिसमें श्रद्धालुओं के साथ-साथ जनसामान्य और करैरा विधायक श्री प्रागीलाल जाटव जी, एवं नगर पालिका अध्यक्ष शारदा रावत w/0 रामस्वरूप रावत और सत्संग का लाभ उठाया। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मों के शास्त्रों के प्रमाण दिखाएं और सिद्ध किया कि कबीर पूर्ण परमात्मा है। भगवत गीता में जिन्हें परम अक्षर पुरुष कहा गया है। गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता ज्ञान दाता ने अर्जुन को उसी परम अक्षर पुरूष (कबीर साहब) की शरण में जाने को कहा है। वह परम अक्षर पुरुष सतलोक में रहता है जो शाश्वत स्थान है। जहां परम शांति है। जनसामान्य और श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक शांति के साथ सत्संग को सुना। आश्रम में भगतमति और भक्तों के अलग-अलग पंडाल थे। सत्संग के बाद इंटरव्यू के माध्यम से भक्तों द्वारा अपने अनुभव बताए गए जिनको सुनकर सभी आश्चर्यचकित थे और बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय जयकार कर रहे थे। सत्संग के बाद ज्ञान को समझकर अनेक लोगों ने प्रथम नाम दीक्षा भी प्राप्त की। गर्मी को देखते हुए शिकंजी प्रसाद की व्यवस्था की गई। आश्रम के सभी सेवादार बहुत श्रद्धा और नम्रता के साथ हाथ जोड़कर अपनी सेवाएं कर रहे थे। ज्ञानगंगा,जीने की राह पुस्तक के साथ-साथ अन्य धार्मिक पुस्तकों की स्टाल लगाई गई। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज और उनके अनुयाई सच्चे समाज सुधारक का कार्य कर रहे हैं। इनका उद्देश्य वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित कराकर लोगों के जीवन का कल्याण करना है और पूरे विश्व में शांति स्थापित करना है। समाज में फैले भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी और अन्य बुराइयों को समाप्त करना हैं।