संवादाता हेमचंद नागेश की रिपोर्ट
गरियाबंद जिला मैनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्रामपंचायत झरगांव के आश्रित पारा तेतलपारा में धूमधाम बाजे गाजे के साथ किया गया मेंढक और मछली का शादी जिसको ग्रामीण अंचल में बैंग चेंग विवाह कहा जाता है यह सुनने मैं तो अजीब लगता है लेकिन वास्तव में इस विवाह को देखने के लिए बहुत ही मजा आता है आपको बता दें की यह विवाह खास तौर पर ग्रामीण अंचल में होता है इस विवाह का एक मुख्य कारण है विवाह में सर्वप्रथम भीमा देवी जिसे पानी का देवता माना जाता है उसी की पूजा की जाती है उसके पश्चात रिती रिवाज के साथ मेंढक और मछली का विवाह किया जाता है पौराणिक मान्यता के अनुसार यह विवाह उस समय किया जाता है जिस समय ग्रामीण क्षेत्रों पर वर्षा नहीं होती तब की स्थिति में श्री भीमा देव की पूजा अर्चना कर मेंढक और मछली का विवाह किया जाता है जिससे वर्षा होती है आपने सुना होगा की वर्षा के लिए बड़े-बड़े महायज्ञ किया जाता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा नहीं होने पर भीमा देव की पूजा अर्चना जाता है और मेडक वह मछली की विवाह किया जाता है इस कार्यक्रम को ग्रामीण अंचल में बोलचाल की भाषा में बैंक चेंग विवाह कहते हैं तेतलपारा के ग्रामीणों ने कहा झरगांव के आश्रित पारा तेतलपारा में इस वर्ष वर्षा नहीं हो रही है जिसके लिए गांव के समस्त वरिष्ठ नागरिकों ने बैठक रखी और चर्चा किये समस्त ग्रामीणों की सहमति से गांव में भीमा देव की पूजा अर्चना कर मेंढक और मछली का विवाह पाणिग्रहण विधि विधान से बाजे गाजे के साथ विवाह किया गया जिस प्रकार इंसानों का विवाह किया किया जाता हैं उसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा नही होने पर वर्षा के लिए मेंढक और मछली का विवाह किया जाता हैं।इस कार्यक्रम में गांव के समस्त वरिष्ठ नागरिक माताएं बहने नन्हे-मुन्ने बाल बच्चे सभी नाचते गाते दिन भर झूमते रहे।