मौसम की बेरुखी से किसान परेशान, धान की रोपाई पर छाया संकट,

  • Aug 11, 2023
  • Lekhraj Chakradhari Gariyaband

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संवाददाता हेमचंद नागेश  कि रिपोर्ट 


गरियाबंद जिला के दोनों ब्लाक मैनपुर और देवभोग  के किसान फसलों के लिए मानसून पर निर्भर रहने  वाले किसान इस साल बारिश कम होने के बजह से चिंता बढ़ने लगी है। चुकी कि किसान का रोपाई ब्यासी थम सी गई हैं।देख रहे हैं कि, कब पानी गिरे और हमारी खेतों खलिहानों का धान हरा भरा लहराएं और मन को सुकून मिलें। सरकार ने खेतों में  सिंचाई  करने के लिए संसाधन के अनेक सुविधाएं हैं नहर,स्टाप डेम,व अन्य  दूसरे प्रकार संसाधन भी है, लेकिन इस साल अल्प बारिश हुई है, इस लिए इन सिंचाई के संसाधनों में भी पानी कम रह गया है। नदी तट से लगा गांव में लगातार तेल नदी का पानी नहर जल प्लावन योजना से अपने खेतों में सिंचाई करने के लिए प्रयास में लगे सात गांवों के  50 किसानों ने अपने तन मन धन लगा कर पूरी सफलतम प्रयास रहें, यहां तक कि नहर के बीच - बीच में क्षतिग्रस्त डैमेज व स्ट्रेक्चर हुई हैं, पानी रोकने के लिए  रेत बोरियों में भर कर जाम किया गया। जिसमें सात गांव है दहीगांव,निष्ठीगुडा़,परेवापाली,सेन्दमुडा़,सुपेबेडा़,मोटरा पारा ,सागोनभाडी,इन गांवों के किसान अपने खेतों में एक हजार एकड़ फसल रकबा भूमि पर  सिंचाई कर सकते हैं ‌। और यह देखने व सुनने को मिल रहा है कि  मानसून  की  प्रकोप होने के बजह से शहरों में भयंकर  बारिश तबाही मचाई है,जन धन को क्षति पहुंचाई है।हाल के हफ्तों में हुई बारिश देखें तो जलमग्न होने के कारण कई शहर ठप पड़ गए हैं।

 ग्रामीण क्षेत्रों में किसान पानी के एक एक बूंद के लिए तरस रहा है। किसानों के खेतों सुखने लगा है और जमीन  दरार होने लगा है।

अभी किसान बड़ी चिंतित में पड़ गए हैं।बारीश होगा या नहीं मन ही मन गुथे जा रहें हैं। नदी, नाला, तालाब,कुंआ का जल स्रोत धीरे धीरे सुखने की कगार पर है। किसानों के खेतों का धान हरी भरी होने के जगह पर जलने लगा है।  किसानों के धान फसल की खेती में पानी का संकट पड़ गया है। किसान अपने खेतों में जाकर सिर में हाथ रख कर बहुत चिंतित में पड़ गए हैं। यदि बारिश अगस्त, सितंबर माह में नहीं गिरतीं हैं तो इस साल अकाल पड़ सकता हैं। किसान बैंकों से ऋण लिया है,ऋण चुकाने में असमर्थ होंगे।  किसानों की चिंता बढ़ती जाएगी,

 जहां - जहां सिंचाई कि सुविधाएं हैं, किसान प्रयास कर अपने खेतों में पानी सिंचित करने में सहारा  मिल सकती हैं। लेकिन कुछ ऐसा किसानों के जमीन है, जहां पर न तो नहर, तालाब, कुंआ व अन्य जल संसाधनों  कि सुविधा है, ऐसे किसानों के खरीफ फसल बिना पानी के अभाव में फसलें चपैट हों जाएगी।तेल नदी का पानी उन गांवों के किसानों को सुविधाएं होंगी, जहां सरकार नहर जल प्लावन सुविधा पहले से बनीं हुई हैं। सरकार किसानों के हित के लिए हर योजनाओं को मद्देनजर  रखते हुए अफसरों को दिन रात अलर्ट कर रही हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाएं तो गोलमाल चल रहा हैं। अफसर किसानों के हर योजनाओं को आज दिन पर्यन्त तक कोई भी योजना से शत् प्रतिशत लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाएं तो सरकार के 100 से भी अधिक ऐसे जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, आज दिन पर्यन्त तक पूरी तरह से गांव के आम नागरिक जानकारी से दूर हैं।

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