चोरहटा थाना के पुलिस अधिकारियों पर युवक ने लगाया गंभीर आरोप,एक पत्रकार के इशारों पर चलता है थाना
रीवा में दुकान संचालक को पार्टनर ने दिया धोका, पार्टनर ने ही दुकान से कर दिया लाखो का सामान पार
थाने में नही हो रही कोई कार्यवाही, युवक लगा रहा न्याय की गुहार
रीवा। खबर मध्यप्रदेश के रीवा जिले से है, जहां दुकान संचालक को उसी के पार्टनर के द्वारा धोका देकर लाखो का सामान चोरी कर बेंच लेने की घटना सामने आ रही है , मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम वॉर्ड नंबर 04 चोरहटा निवासी शंभू तिवारी पिता -रामशियम्बर तिवारी की दुकान चोरहटा सतनाम पेट्रोल पंप के बगल में संचालित है, पीड़ित ने बताया कि मैं एक बेरोजगार युवक हू, मेरे पास कोई नौकरी न होने के कारण मैंने पार्टनरशिप में दुकान खोली। मेरे और मेरे माता- पिता के पास जितनी जमा पूंजी थी, मैंने उसे उस दुकान में लगा दिया था। 3 महीने पहले मेरी अचानक बहुत ज्यादा तबियत बिगड़ जाने के कारण मैं रीवा के मिनर्वा हॉस्पिटल में 5 दिन के लिए एडमिट था ,इसी बीच मेरे पार्टनर रावेंद्र पटेल पिता - रमेश पटेल निवासी सतपुड़ा ITI के सामने चोरहटा के द्वारा दुकान का पूरा सामान चोरी कर बेंच लिया गया। क्युकी रावेंद्र पटेल के द्वारा बताया गया था की दुकान में चोरी होगई है, लेकिन दुकान का ताला नही टूटा , सिर्फ पीछे से प्लाई की फटकी को तोड़ा गया।
पीड़ित ने बताया कि दुकान से ऐसे समान भी चोरी होगए जो सिर्फ सटर के माध्यम से ही बाहर निकाले जा सकते है। पीड़ित ने बताया की आस- पास के लोगो द्वारा बताया गया की, मेरे पार्टनर रावेंद्र के द्वारा समान ले जाया गया है।
चोरहटा थाने में नही लिखी जा रही शिकायत
पीड़ित ने बताया की जब चोरी की शिकायत मैं चोरहटा थाने में करने पहुंचा तो पुलिस अधिकारी के द्वारा आवेदन लेकर कार्यवाही करने को कहा गया,लेकिन आज 3 महीने हो गया लेकिन पुलिस के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। पुलिस अधिकारियों के द्वारा दिन भर में 4 बार बुलाया जाता है की सुबह इतने बजे आओ,दोपहर को आओ,शाम को आओ,रात में आओ आज 3 महीने से यही चल रहा है। थाने में सुनवाई न होने के बाद पीड़ित द्वारा और भी जगह आवेदन दिया गया है, लेकिन किसी तरह की कोई कार्यवाही नही हो रही। टी आई साहब के द्वारा यह बोला जाता है,की मेरे पास सिर्फ इतना ही काम नही है,की मैं तुम्हारी कार्यवाही करवाऊ।
जबकि आईपीसी की धारा 379 के तहत चोरी दंडनीय अपराध है।चोरी होने पर पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती। सीआरपीसी की धारा 154 के तहत पुलिस की ये ड्यूटी है कि गंभीर अपराधों के मामले में एफआईआर दर्ज करे। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में ललिता कुमारी बनाम यूपी सरकार के मामले में गाइडलाइंस तय किया था कि किसी भी गंभीर अपराध के बारे में शिकायत मिलने पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी ही होगी। फिर भी थानों में शिकायत दर्ज नही की जा रही है। पुलिस अधिकारियों के द्वारा कोर्ट के आदेश कि सीधे अवहेलना की जा रही है।
पीड़ित ने पुलिस अधिकारियों पर लगाया गंभीर आरोप
पीड़ित ने बताया की मेरे द्वारा इसकी शिकायत 181 में 3 बार की गई है, लेकिन चोरहटा थाने में पदस्थ द्वारिका पटेल के द्वारा हर बार कार्यवाही करने को बोलकर शिकायत को बंद करवा दिया गया, सबूत के तौर पर पीड़ित के पास द्वारिका पटेल की कॉल रिकॉर्डिंग उपलब्ध है।
पीड़ित ने बताया की जब थाने जाकर टी आई साहब से मिलता हू, टी आई साहब कहते है,की द्वारिका पटेल आ जाए जो चोरहटा थाने में ही पदस्थ है, और जब द्वारिका पटेल से मिलते है, तो बोला जाता है, की टी आई साहब आ जाए, हमको बोल दे तो फिर हम कार्यवाही करते है।आज 3 महीनो से यही चल रहा है। दिन भर में 4 बार थाने बुलाया जाता है, लेकिन कोई कार्यवाही नही की जाती।
एक पत्रकार के इशारों पर चल रहा है,चोरहटा थाना
पीड़ित ने बताया की एक पत्रकार है, जिसके इशारों पर चोरहटा थाना चलता है,जो यह पत्रकार कहता है, वही चोरहटा थाने में होता है,पीड़ित ने यह भी बताया है की जो पत्रकार है वह मेरे पार्टनर का परम मित्र है। आखिर ऐसी क्या वजह हो सकती है कि एक पत्रकार के इशारों पर चोरहटा थाना चल रहा है ?
पता नही और कितने ऐसे पीड़ित है जो थानों के चक्कर लगा रहे है, लेकिन उनकी कार्यवाही नही की जा रही है। रीवा जिले में अब ऐसा आलम होगया है, कि थानों में रिपोर्ट ही दर्ज नही की जा रही है, अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोगो को थानों पर विश्वास ही नहीं रहेगा। आने वाले समय मे लोगो को ऐसा लगने लगेगा, कि थाना जाने से क्या मतलब जब चक्कर काटते- काटते थक जायेंगे लेकिन कार्यवाही तो होगी नही। आम आदमी अपनी शिकायतो को लेकर न्याय के लिए किसके पास जाए।