ग्वालियर। मध्यभारतीय हिन्दी साहित्य सभा ग्वालियर के तत्वावधान में "हिन्दी दिवस "के अवसर पर " हिन्दी सेवी सम्मान, अहिन्दी भाषी हिन्दी सेवी सम्मान,आदर्श शिक्षक, आदर्श शिक्षिका सम्मान, सहित वर्तमान परिवेश में साहित्य का योगदान, अमृत काल" के संदर्भ में विषय पर संगोष्ठी सभा सभा भवन दौलतगंज लश्कर ग्वालियर में आयोजित की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय पुस्तक न्यास दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने की। मुख्य अतिथि के रूप में राम किशोर उपाध्याय उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में हिन्दी सेवी सम्मान डबरा के वरिष्ठ साहित्यकार रामगोपाल तिवारी "भावुक" को प्रदान किया गया। अहिन्दी भाषी हिन्दी सेवी सम्मान साहित्यकार व्यंकटेश बलवंत वाकडे को , आदर्श शिक्षक सम्मान डॉ अशोक मिश्रा एवं आदर्श शिक्षिका सम्मान डॉ शशि प्रभा पौराणिक को प्रदान किया गया।
प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। सरस्वती वंदना व्याप्ति उमड़ेकर ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत दिनेश पाठक एवं सभाध्यक्ष कुमार संजीव ने शाॅल ,श्रीफल एवं पुष्पहार से किया।
कार्यक्रम की भूमिका एवं विषय प्रवर्तन साहित्य सभा की उपाध्यक्ष डॉ .पद्मा शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन कुंदा जोगलेकर ने किया।
सभी विभूतियों को सम्मानित किया गया, प्रशस्ति वाचन दिनेश पाठक कार्यक्रम संयोजक ने किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ राम किशोर उपाध्याय ने कहा,
जब हम वर्तमान परिवेश में साहित्य का योगदान विषय की मीमांसा करते हैं तब पाते हैं ,कि हमें अपने गौरवशाली अतीत की झलक साहित्य और संस्कृति के माध्यम से प्राप्त होती है। यही कारण है कि देश विरोधी शक्तियां भारती साहित्य परंपरा का विरोध करती हैं।
हमारी साहित्य परंपरा ऋग्वेद से आरंभ होकर आज तक सतत समृद्ध हो रही है। पराधीनता काल में विदेशियों ने इसे भारी क्षति पहुंचाई,कम्युनिस्ट साहित्यिकों ने इसे मिटाने का असफल प्रयास भी किया, किंतु आज अमृत काल में यह पुनः राष्ट्र बोध कराने का कार्य कर रही ।
हमें अपने राष्ट्रहित में अपनी संस्कृति, अपनी पहचान एवं अपने स्वय को पहचानना होगा एवं भारत की निरंतर सेवा करनी होगी।
अध्यक्षता कर रहे गोविंद शर्मा ने साहित्यकारों को कर्तव्य निष्ठ रहकर विषम परिस्थितियों में भी सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि सनातन को कोई समाप्त नहीं कर सकता , हमें सतर्क रहकर विसंगतियों को दूर करने हेतु हमें निरंतर प्रयास करना चाहिए। अपने परिवेश को अधिक से अधिक मजबूत एवं प्रगतिशील बनाने का प्रयास करते हुए नकारात्मकता को भी सकारात्मक में बदलने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने साहित्य सभा के कार्यक्रम को बहुत ही सराहना करते हुए सभा को सक्रिय एवं अग्रणी संस्था बताया।
इस अवसर पर राज किशोर वाजपेई , डॉक्टर लोकेश तिवारी, डॉ मंजू लता आर्य,सुरेश हिंदुस्तानी , सुरेंद्र तिवारी, रामचरण रुचिर ,दिलीप मिश्रा ,श्याम स्वरूप श्रीवास्तव ,उमा कंपूवाले, सुरेश मेंडसुरे, डॉक्टर श्रद्धा सक्सेना, प्रकाश मिश्रा ,राजेंद्र टेम्बे, राम चंद्र किलेदार ,विजय जोशी, अंकुर चौरसिया ,रेखा दिक्षित राजवीर खुराना सुधीर चतुर्वेदी, माता प्रसाद शुक्ल , अर्चना कंसल ,सतीश पाठक ,सचिन सेजवार, उपेंद्र कस्तूर,सुरेंद्र तिवारी सहित अनेक गणमान्य जन्म साहित्यकार एवं युवा साहित्यकार उपस्थित रहे कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार प्रदर्शन सभा अध्यक्ष कुमार संजीव ने किया। कार्यक्रम के समापन पर वंदे मातरम गीत व्याप्ति उमड़ेकर ने प्रस्तुत किया ।
तत्पश्चात् सभी ने स्वल्पाहार लिया। कार्यक्रम बहुत ही सराहनीय एवं उत्कृष्ट रहा।
इस अवसर पर मध्यभारतीय हिन्दी साहित्य सभा में वरिष्ठ साहित्यकार,नवोदित साहित्यकारों सहित शहर के साहित्यकारों एवं साहित्य अनुरागियों को अधिक से अधिक संख्या में कार्यक्रम में सहभागिता की।