ज्ञान से ही सच्ची समझ और समझदारी आती है मुनि राजपद्मसागरजी

  • Oct 11, 2023
  • Pushpanjali Today

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बेंगलूरू। श्री शांतिनाथ श्वेतांबर मूर्ति पूजक जैन संघ एल एन पुरम श्रीरामपुरम में प्रवचन के दौरान  मुनि श्री राजपद्मसागर जी महाराज साहब ने कहा कि सरस्वती की जरूरत सबको पड़ती है उनकी आराधना उनकी साधना करने से उनके नाम का स्मरण करने से उनके नाम का जाप करने से विद्या की प्राप्ति होती है, ज्ञान की प्राप्ति होती है एवं बुद्धि की प्राप्त होती है, आचार्य भगवंत ने भी सरस्वती माता की साधना की है जिन्होंने छोटी ही उम्र में ऐसे सरस्वती माता की साधना करके उनकी आराधना करके शासन के महान कार्य एवं अनेक राजाओं को भी प्रतिबोध किया है और शासन की प्रभाव न की है बप्पभट्टी सुरीश्वरजी महाराज ने भी छोटी ही उम्र में उन्होंने दीक्षा अंगीकार करने के बाद में सरस्वती माता का जाप किया उनका प्रत्यक्ष करके और रोज के 1000 श्लोक को याद करते थे, वैसी सरस्वती माता की शक्ति है कि जो भी व्यक्ति उनका स्मरण करता है उनके नाम का जाप करता है, उनके ऊपर मां शारदे हमेशा आशीर्वाद बरसाती है, और उनकी जिह्वा पर सरस्वती माता का वास रहता है, और वचन सिद्ध हो जाता है, जो भी बोलते हैं वह सच हो जाता है, श्री हेमचंद्राचार्य जी हो या उपाध्याय श्री यशोविजयजी महाराज हो ऐसे महान महान पूर्वाचार्यों ने सरस्वती माता की साधना करके शासन की प्रभावना की है, और अनेक लोगों को धर्म मार्ग में जोड़कर के सही मार्ग दिखाने का काम किया है, बस उसी प्रकार से हमारे संघ में भी 15 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक सरस्वती माता का भव्य जाप अनुष्ठान होने जा रहा है ,तो सभी को इस जाप के अंदर आकर के मां सरस्वती की साधना करनी है, और धर्म मार्ग में जुड़ करके अपनी आत्मा  का कल्याण करना है, अपनी आत्मा का बोध करना है और मुनिश्री श्रमणपद्मसागरजी महाराज ने भी कहा कि परमात्मा की भक्ति करने के लिए तीन वस्तु चाहिए तीन चीज चाहिए सबसे पहले प्योरिटी यानी शुद्धता हृदय की शुद्धता एवं मन की शुद्धता होनी अनिवार्य है दूसरे नंबर के अंदर क्वालिटी भावों के अंदर क्वालिटी होनी चाहिए और तीसरे नंबर के अंदर स्योरीटी परमात्मा के वचनों के ऊपर पूर्ण श्रद्धा होनी चाहिए भगवान के ऊपर पूरा विश्वास होना चाहिए तभी जाकर के हमारी साधना हमारी पूजा निर्मल बनती है

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