हत्या की कोशिश में सजा काट रहे तीन तेंदुए, धारा 307 के तहत कानपुर चिड़ियाघर में उम्रकैद

  • Aug 29, 2022
  • Pushpanjali Today

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307 के गुनहगार तीन खूंखार तेंदुए कानपुर चिड़ियाघर की कोठरी में कैद हैं। एक-दो नहीं, बल्कि ये तेंदुए 25 लोगों पर जानलेवा हमला कर चुके हैं। धारा 307 यानी हत्या की कोशिश के लिए सजा।

आगे जाना मना है, कानपुर चिड़ियाघर के अंदर लोहे के गेट पर लिखी चेतावनी यहां आने वाले हर दर्शक के लिए कौतूहल पैदा करने वाली है। हो भी क्यों न, चेतावनी लिखी इस कोठरी में ‘307’ के गुनहगार तीन खूंखार तेंदुए जो कैद हैं। एक-दो नहीं, बल्कि ये तेंदुए 25 लोगों पर जानलेवा हमला कर चुके हैं। धारा 307 यानी हत्या की कोशिश के लिए सजा।

मेरठ, प्रतापगढ़ और मुरादाबाद में दहशत का पर्याय बने इन खतरनाक जानवरों को घंटों मैराथन अभियान के बाद पकड़ा गया था। बकायदा हिरासत में लेकर कानपुर जू लाया गया था। यहां पर लोहे की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया। अब ये पांच बाई पांच की कोठरी में ‘उम्रकैद’ की सजा भुगत रहे हैं। लंबे समय तक कैद में रहने के बावजूद तेंदुओं का स्वभाव जरा सा भी नहीं बदला। जब से तीनों आए हैं, तब से कीपर राम बरन उनकी देखभाल करते हैं।

खूंखार है मुराद
वर्ष 2018 में मुरादाबाद के अगवानपुर के जंगल में तेंदुए की बादशाहत कायम थी। इसने इलाके में करीब सात लोगों पर हमला कर घायल कर दिया था। शिकारियों द्वारा नीलगाय को पकड़ने के लिए लगाए गए जाल में खूंखार तेंदुए का पैर उलझ गया था। उसने जाल से निकलने की पुरजोर कोशिश की। इसके चलते उसके पैर और मुंह में चोट लग गई थी। उसे देखने के लिए सैकड़ों की भीड़ जुट गई थी। डॉ. आर के सिंह के नेतृत्व में 21 जनवरी 2018 को कानपुर जू लाया गया। मुरादाबाद में पकड़े जाने के कारण इसका नाम मुराद रखा गया।

सम्राट की दास्तां
अप्रैल 2016 में तीन साल की उम्र में मेरठ में 13 लोगों पर हमले के गुनहगार तेंदुए को पकड़ने के लिए पुलिस के साथ सेना के 200 से ज्यादा जवान लगाने पड़े थे। रेस्क्यू विशेषज्ञ के रूप में कानपुर जू से तत्कालीन पशुचिकित्सक डॉ. आरके सिंह पहुंचे थे। ट्री गार्ड का कवचनुमा खोल पहन कबाड़ हटाने पर कुर्सी के पीछे तेंदुए का मात्र एक रोजेट (खाल पर बने काले धब्बे) ही दिखा। ट्रेंकुलाइजर का निशाना सटीक लगा लेकिन वह आंखों से ओझल हो गया। संभल पाते इससे पहले पंजे के वार से बाएं हाथ का अंगूठा कट गया, इसमें आठ टांके लगवाने पड़े। हालांकि दवा ने असर दिखाया और तेंदुआ बेहोश हो गया। 15 अप्रैल 2016 को कानपुर जू आने पर नाम सम्राट रखा गया। उसे पकड़ने में 51 घंटे लगे थे

ऐसे पड़ा प्रताप नाम
जनवरी 2018 में कहीं से भटककर प्रतापगढ़ के बाघराय बाजार में पहुंचे खूंखार तेंदुए ने 13 लोगों की जान लेने की कोशिश की थी। रेस्क्यू के लिए कानपुर से बुलाए गए डॉ.नासिर ने बताया कि लंबी छलांग लगाने में माहिर तेंदुआ लोगों को घायल करने के बाद रात आठ बजे बाघराय बाजार के भूसे भरे कमरे में घुस गया था। देर रात एक बजे रेस्क्यू टीम ने उसे काबू करने को लकड़ी के दरवाजे में दो छेद करवा ट्रैंकुलाइजर गन से निशाना साधा। डार्ट लगने से वह हमलावर हो गया। बेहोश होने तक दरवाजे पर पंजे मारता रहा। दहशत के कारण बेहोशी के बावजूद उसे जाल में बांधकर पिंजरे में डाला गया। 14 नवंबर 2017 कोे कानपुर जू लाया। प्रतापगढ़ से आने के कारण प्रताप नाम पड़ गया।

- प्रतापगढ़ से आए प्रताप पर 13,मुरादाबाद के मुराद पर हैं 7 मामले
- 15 हजार के डॉट इंजेक्शन लगे तब पकड़े गए थे ये तीनों तेंदुए
- चिड़ियाघर की कोठरी में हैं बंद, बाहर लिखा-आगे जाना मना है
- 6 साल से तन्हाई में कैद मेरठ का सम्राट, इंसान देखते ही होता है आक्रामक

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Nil Kumar

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आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

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कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

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आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक