भक्तिमय माहौल में मेला संपन्न पाटन में पद्मनाभ मेले के अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े श्रद्धालुओं ने अनुष्ठान पूरा कर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया

  • Dec 04, 2023
  • Pushpanjali Today

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•पाटन में रेवडियो मेला यानि पद्मनाभ मेला का अद्वितीय महत्व

गुजरात। पाटन प्रजापति समाज के कार्तिक सुद चौदस से प्रारंभ होकर रेवड़िया मेला के नाम से प्रसिद्ध सप्त रात्रि मेला कार्तिक वद पंचमान शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भक्तिमय माहौल में संपन्न हुआ।


पद्मनाभ भगवान की वाडी में मनाये जाने वाले सप्तरात्रि मेले में रवाडी जलाने की महिमा. मेले की शुरुआत ज्योति जलाकर की जाती है।  इस बार से प्रतिदिन विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों के हाथों  से रवाड़ी की लौ प्रज्ज्वलित करवाकर मेले का शुभारम्भ करने की व्यवस्था की गई है।  इस प्रकार रवादी की महिमा को और अधिक प्रभावशाली बना दिया गया है।


 • रेवड़ी मेला के नाम से भी प्रसिद्ध है

 •परंपरागत है मेला

 •पाटन शहरवासियों के लिए है आस्था का केंद्र


भगवान पद्मनाभ के कार्तिक सुद चौदस से लेकर कार्तिक वध पंचम तक श्री हरि की स्मृति में सप्त रात्रि मेले लगते हैं। इस मेले को रेवडी मेला भी कहा जाता है।  क्योंकि भगवान को गोल तिलों से बनी रेवड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।


पद्मनाभ को भगवान विष्णु का 24वां अवतार माना जाता है, जिनका जन्म चैत्र सुद पंचमे शिवजी के वंशज विक्रम संवत 1458 में पाटन जैसे धार्मिक शहर में एक पवित्र प्रजापति जाति में माता लक्ष्मी देवी (लखमा) और पिता श्री कर्णदेव की संतान से हुआ था।


पूरे गुजरात में पाटन का यह पद्मनाभ भगवान का सप्त रात्रि का मेले का महत्व है, जहां पर लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। काफी संख्या में यहां पर लोग आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं। खास कर प्रजापति समाज के इष्टदेव भगवान की दो वाडी का निर्माण किया था जिसके बाद 33 करोड़ देवता, छप्पन करोड़ यादव और अट्ठासी हजार ऋषि-मुनि इस पवित्र भूमि पर मिट्टी के ढेर के रूप में विराजमान हो गए।  इस पवित्र भूमि पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।  यह स्थान प्रजापति समाज के अलावा मोदी समाज के उदा भगत के वंशजों सहित विभिन्न समुदाय के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक बन गया है।

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Nil Kumar

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आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक