भगवान भाव से प्रकट होते हैं कथावाचक श्री पाठक

  • Feb 08, 2024
  • Pushpanjali Today

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भिण्ड । रुक्मणी जीव का प्रतीक है और भगवान कृष्ण आत्मा के रुक्मणी ने ब्राह्मण के द्वारा भगवान को संदेश भिजवाया की हे परम पुरुष मैं आपका वरण कर लिया है मैं आपकी शरण में हूं अब आप भी मेरा वरण करके मुझे भक्त पर कृपा कीजिए अर्थात जीव जब संसार के महा- मोह बंधनों से परेशान होकर भगवान को पुकारता है भगवान की शरण ग्रहण करता है तब भगवान ब्राह्मण अर्थात गुरु रूप में आकर जीव का कल्याण करके अपने धाम में प्रतिष्ठित कर देते हैं, अभय कर देते हैं।

भगवान की सोलह हजार एक सौ आठ रानियां थी लेकिन कोई भोग की कामना से, कोई अपने ईष्ट रूप से तो कोई ईश्वर रूप से भगवान को याद करता है। भगवान भी उसे, उस-उस भाव से भजते हैं। कथा व्यास संत अनिल पाठक जी महाराजा ने बताया की श्रीमद् भागवत गीता में भगवान ने ऐसा स्पष्ट कहा है कि भगवान ने सभी रानियों को उनके भाव के अनुरूप सुख पहुंचाया।

यहां हम बता दें कि स्थानीय आर्य नगर - भीम नगर चौराहे पर स्तिथ महारानी अवंती बाई धर्मशाला में एक से सात फरवरी तक श्री पाठक महाराज के मुखारविंद से कथा आयोजन किया जा रहा हैं। कथा का कल यानि कि 7 फरवरी को अंतिम दिवस है। यहां श्रीमद्भागवत कथा के साथ साथ वृंदावन धाम से आई सुंदर रसिक रास लीला का भी आयोजन किया जा रहा है।

श्रीमद्भागवत कथा आध्यात्मिक ज्ञान योग स्थान महारानी अवंती बाई लोधी छात्रावास न. 02 स्कूल के पास दिनांक 1 से 7 फरवरी 2024 तक कथा व्यास संत अनिल पाठक जी महाराज ने उक्त उद्गार व्यक्त किये।आज कथा के अंतिम दिवस कथा समापन के बाद सभी श्रोताओं साधु - संतों का भव्य भंडारा और उनको दक्षिणा देकर समापन किया गया।

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Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक