✍️ संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट
चिंकराभांटा मे रहने वाली उगेंद्री महज 5 साल कि नन्ही सी बच्ची है। खेलने कुदने और पढ़ाई के दिनों मे उगेंद्री दिल में छेद लिए बैठी है।हृदय में छेद एक गंभीर रोग है, जिसे कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट यानि हृदय संबंधी जन्मजात रोग कहते हैं। कभी-कभी शिशु, हृदय की खराबी के साथ पैदा होते हैं या जन्म के समय उनके हृदय की संरचना में खराबी होती है। इस खराबी के कारण हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जो कि सही रक्त प्रभाव पर असर डालती है। उगेंद्री के ईलाज के लिए परिवार रायपुर के सरकारी हास्पिटल से लेकर प्राईवेट के चक्कर भी काट चूके है लेकिन ईलाज कराने में अब तक असमर्थ हैं।बेटी उगेंद्री 1साल कि थी सांस लेने में दिक्कत हुई तो जांच करवाने में उसके दिल में छेद बताया गया। चिकित्सकों ने जल्द से जल्द आपरेशन करने की सलाह दी, लेकिन पिता मजदूरी का काम करता है। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह किसी बड़े अस्पताल में जाने तक की सोच सके। एक मां और पिता के उपर क्या बितता होगा जिनके कलेजे के टुकड़े पर इतनी बड़ी विपत्ति आन पड़ी किंतु ईलाज कराने मे असमर्थ हो। उगेंद्री अब 5 साल की हो चूकि है और उसे भी अब पता चल चूका है कि उसके दिल मे छेद अब उगेंद्री कम मुस्कुराती है। मायुसी भरी स्वर में रोज पुछताछ करती है कि क्या मैं ठीक हो पाउंगी क्या मैं साथियों के साथ रोज खेल पाउंगी क्या मेरा ईलाज हो पायेगा। उगेंद्री के माता पिता कहते हैं बच्ची के सवालों से दिल बैठ सा जाता है मूं सुख जाता है और घोर निराशा का घनघोर बादल छा जाता है।दूर दूर तक कोई मदद करने वाले नहीं सारे रास्ते अब बंद से नजर आ रहे है परिवार चाहते है कि उनके बेटी का प्रसाशन मदद करे और उगेंद्री का जान बचा ले। क्या 5 साल कि गरीब उगेंद्री का ईलाज हो पायेगा ...क्या उगेंद्री दिल खोल कर मुस्कुरा पायेगी...क्या उगेंद्री जीवित रह पायेगी