ग्राम झरगांव तेतलपारा में बड़ी धूमधाम से निकाली गई जगत जननी महालक्ष्मी जी के भव्य कलश यात्रा

  • Dec 07, 2022
  • Lekhraj Chakradhari Gariyaband

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✍️संवाददाता हेमचंद नागेश कि रिपोर्ट


 गरियाबंद जिला मैनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत झरगांव तेतलपारा में सार्वजनिक श्री श्री महालक्ष्मी पूजा उत्सव समिति तेतलपारा के द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी  महालक्ष्मी पूजा उत्सव की कलश स्थापना कलश यात्रा एवं मूर्ति स्थापना छत्तीसगढ़ के कैटपदर के संप्रदा मंडली के साथ जल कलश यात्रा संध्या 4:00 बजे किया गया एवं 5 बजे मां लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापना की गई आज की इस कलश यात्रा में नव कन्या के द्वारा नौ कलश  एवं साथ ही गांव के माताओं एवं बहनों ने कलश लेकर शामिल हुई कलश यात्रा संप्रदा मंडली के साथ जल कलश यात्रा किया गया l जिसमें मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षक श्री सत्यवान सिंह के द्वारा फीता काटकर कलश यात्रा को संपन्न किया गया।  दिनांक 07/12/2022 व 08/12/2022 को रात्रि कालीन मनोरंजन हेतु कार्यक्रम भी रखी गई है और दिनांक 09/12/2022 को माता लक्ष्मी जी की मूर्ति विसर्जन किया जायेगा l


जानिए किसी भी कार्यक्रम के पहले क्यों कलश यात्रा या कलश स्थापना की जाती है ?


कलश यात्रा में में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं। वहीं कलश को धारण करने वाले जहां से भी ग्राम का भ्रमण करता है वहीं की धरा स्वयं सिद्व होती जाती है। जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा को ईश्वर पवित्र और निर्मल करते हुए अपनी शरण में ले लेते हैं। कलश विश्व ब्रह्मांड का, विराट ब्रह्म का, भू-पिंड (ग्लोब) का प्रतीक है। इसे शांति और सृजन का संदेशवाहक कहा जाता है। संपूर्ण देवता कलशरूपी पिंड या ब्रह्मांड में व्यष्टि या समष्टि में एकसाथ समाए हुए हैं। वे एक हैं तथा एक ही शक्ति से सुसं‍बंधित हैं। बहुदेववाद वस्तुत: एक देववाद का ही एक रूप है। एक माध्यम में, एक ही केंद्र में समस्त देवताओं को देखने के लिए कलश की स्थापना की जाती है। कलश को सभी देव शक्तियों, तीर्थों आदि का संयुक्त प्रतीक मानकर उसे स्थापित एवं पूजित किया जाता है। वेदोक्त मंत्र के अनुसार कलश के मुख में विष्णु का निवास है, उसके कंठ में रुद्र तथा मूूल में ब्रह्मा स्थित हैं। कलश के मध्य में सभी मातृशक्तियां निवास करती हैं। कलश में समस्त सागर, सप्तद्वीपों सहित पृथ्वी, गायत्री, सावित्री, शांतिकारक तत्व, चारों वेद, सभी देव, आदित्य देव, विश्वदेव, सभी पितृदेव एकसाथ निवास करते हैं। कलश की पूजा मात्र से एकसाथ सभी प्रसन्न होकर यज्ञ कर्म को सुचारुरूपेण संचालित करने की शक्ति प्रदान करते हैं और निर्विघ्नतया यज्ञ कर्म को समाप्त करवाकर प्रसन्नतापूर्वक आशीर्वाद देते हैं l कलश में पवित्र जल भरा रहता है। इसका मूल भाव यह है कि हमारा मन भी जल की तरह शीतल, स्वच्‍छ एवं निर्मल बना रहे। हमारे शरीररूपी पात्र हमेशा श्रद्धा, संवेदना, तरलता एवं सरलता से लबालब भरे रहें। इसमें क्रोध, मोह, ईर्ष्या, घृणा आदि की कुत्सित भावनाएं पनपने न पाएं। अगर पनपें भी तो जल की शीतलता से शांत होकर घुलकर निकल जाएं। कलश के ऊपर आम्रपत्र होता है जिसके ऊपर मिट्टी के पात्र में केसर से रंगा हुआ अक्षत (चावल) रहता है जिसका भाव यह होता है कि परमात्मा यहां अवतरित होकर हम अक्षत अथवा अविनाशी आत्माओं एवं पंचतत्व की प्रकृति को शुद्ध करें। दिव्यज्ञान को धारण करने वाली आत्मा आम्रपत्र (पल्लव) के समान हमेशा हरियाली (सुखमय) युक्त रहे। कलश में डाला जाने वाला दूर्वा-कुश, सुपारी, पुष्प इस भावना को दर्शाती है कि हमारी पात्रता में दूर्वा (दूब) के समान जीवनी-शक्ति, कुश जैसी प्रखरता, सुपारी के समान गुणयुक्त स्थिरता, फूल जैसा उल्लास एवं द्रव्य के समान सर्वग्राही गुण समाहित हो जाए।


और इसी मधुर बेला में माताओं बहनों ने कलश लेकर पूरे गांव का भ्रमण किया इस लक्ष्मी पूजा के आचार्य रहे श्री दुर्गाकांत दास वैष्णव  , मुख्य कर्ता के रूप में श्री   महेन्द्र कुमार नागेश व श्रीमती नीरोबाई नागेश अध्यक्ष श्री महेंद्र प्रताप ध्रुवा, उपाध्याय  श्री रवि राम नागेश, कोषाध्यक्ष श्री अनूप पटेल, सचिव श्री योगेंद्र नागेश, सह सचिव महावीर पटेल, संचालक श्री जीवन लाल यादव, संचालक श्री लक्ष्मण नायक,

 *भंडार रक्षक* श्री मेनू राम पटेल, करन पटेल, डिंगर चक्रधारी, डोमार पटेल, भूषण ध्रुवा, देवेंद्र ध्रुवा, भुवन लाल नागेश, अनंतराम नागेश, देवोराम यादव, डालूराम बीसी, कुलेश्वर चक्रधारी, भजन राम यादव, सुकचंद नागेश, अमरू, बेतराम बीसी, दुखों राम मांझी, एवं

समस्त पदाधिकारी एवं आयोजक सार्वजनिक श्री श्री महालक्ष्मी पूजा उत्सव समिति एवं समस्त ग्रामवासी तेतलपारा

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Nil Kumar

Columnist

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका

राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक

कमल राठौर साहिल शिवपुर मध्य प्रदेश

लेखक

आशी प्रतिभा दुबे

स्वतंत्र लेखिका,स्वरचित मौलिक